scriptMahabharat Fact: कौन थीं गांधारी? अपनी आंखों पर काली पट्टी क्यों बांधती थीं? जानिए रहस्य | Mahabharat Fact Why Gandhari wear black bandage over your eyes know mahabharat secret Gandhari | Patrika News
धर्म-कर्म

Mahabharat Fact: कौन थीं गांधारी? अपनी आंखों पर काली पट्टी क्यों बांधती थीं? जानिए रहस्य

Mahabharat Fact: गांधारी का यह निर्णय आत्मसंयम और महान त्याग का प्रतीक माना जाता है। उन्होंने भौतिक सुख-सुविधाओं से स्वयं को दूर कर दिया और अपने परिवार की सेवा को ही अपना कर्तव्य माना।

भारतFeb 08, 2025 / 11:35 am

Sachin Kumar

गांधारी इसलिए बांधती थीं अपनी आंखों पर पट्टी

Mahabharat Fact: महाभारत में कई ऐसे योद्धा और महायोद्धा हुए जो अपनी निष्ठा, त्याग और बालिदान के लिए आज भी जाने जाते हैं। गांधारी का नाम भी उन्हीं योद्धाओं में सुमार है, जिनका जीवन कष्टों और आदर्शों से भरा था। आइए जानते हैं गांधारी की रोचक कहानी।

गांधारी कौन थीं

गांधारी महाभारत के कौरव वंश की महारानी थीं। वह गंधार के राजा सुबल की पुत्री थीं, जो वर्तमान में अफगानिस्तान के कंधार के नाम से जाना जाता है। कौरवों के मामा शकुनी की बहन थीं। धार्मिक ग्रथों के अनुसार गांधारी को शिव जी का वरदान प्राप्त था कि वे सौ पुत्रों की माता बनेंगी। उनका विवाह हस्तिनापुर के अंधे राजा धृतराष्ट्र से हुआ था।

गांधारी क्यों बांधती थीं अपनी आंखों पर काली पट्टी

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार गांधारी को जब पता चला कि उनके पति धृतराष्ट्र जन्म से ही अंधे हैं, तो उन्होंने संकल्प लिया कि वे भी जीवनभर अपनी आंखों से किसी को नहीं देखेंगी। यह एक पत्नी का अपने पति के प्रति अटूट प्रेम और समर्पण का प्रतीक था।
पहले समय में यह माना जाता था कि पत्नी को पति के समान जीवन जीना चाहिए। गांधारी ने अपनी आंखों पर काली पट्टी बांध कर समाज को यह संदेश दिया कि वे अपने पति से अधिक कुछ नहीं देखना चाहतीं।
लेकिन वहीं कुछ विद्वानों का मानना है कि गांधारी ने यह पट्टी अपने पिता सुभाल और भीष्म पितामह के प्रति विरोध प्रकट करने के लिए बांधी थी। क्योंकि उनका विवाह एक अंधे पुरुष से कर दिया गया था, जिससे गांधारी सहमत नहीं थीं।
यह भी पढ़ें

भीष्म पितामह गंगा के कौन से पुत्र थे, यहां जानिए

सौ पुत्रों की मां

गांधारी को वरदान था कि वे सौ पुत्रों की मां बनेंगी। लेकिन जब उन्होंने गर्भ धारण किया, तो दो साल तक संतान का जन्म नहीं हुआ। इससे व्यथित होकर उन्होंने अपने पेट पर वार कर लिया। जिससे मांस का एक टुकड़ा बाहर निकला। ऋषि व्यास ने इसे 100 भागों में विभाजित करके घड़ों में रखवा दिया, जिससे कौरवों का जन्म हुआ।

गांधारी का श्रीकृष्ण को दिया गया श्राप

महाभारत युद्ध में जब गांधारी ने अपने सौ पुत्रों को खो दिया, तो वे अत्यंत दुखी और क्रोधित हो गईं। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को श्राप दिया कि जिस प्रकार कौरव वंश नष्ट हुआ, वैसे ही यादव वंश भी नष्ट हो जाएगा। श्रीकृष्ण ने इस श्राप को स्वीकार कर लिया, और आगे चलकर यादव वंश भी नष्ट हो गया।

गांधारी का अंतिम समय

महाभारत युद्ध के बाद गांधारी, धृतराष्ट्र और कुन्ती के साथ वन में चली गईं। वहां कुछ वर्षों के बाद वे एक जंगल में आग लगने से धृतराष्ट्र और कुन्ती के साथ ही अग्नि में भस्म हो गईं।
यह भी पढ़ें

क्या आप भी गले में पहनते है तुलसी माला? तो यहां जानिए इससे जुड़े नियम और महत्व

डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

Hindi News / Astrology and Spirituality / Dharma Karma / Mahabharat Fact: कौन थीं गांधारी? अपनी आंखों पर काली पट्टी क्यों बांधती थीं? जानिए रहस्य

ट्रेंडिंग वीडियो