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धौलपुर

सर्दी और पाले से किसान फसल का इस तरह कर सकतें हैं बचाव

न्यूनतम तापमान 4 डिग्री के करीब पहुंच गया है। मौसम विभाग ने भी तापमान में और गिरावट के साथ पाला पडऩे की बात कही है। जिससे आलू एवं सब्जी की फसल को नुकसान हो सकता है। जिसको ध्यान में रखते हुए कृषि विभाग ने ठण्ड में फसल को नुकसान से बचाने के लिए एडवाइजरी जारी की है।

धौलपुरDec 19, 2024 / 05:41 pm

Naresh

सर्दी और पाले से किसान फसल का इस तरह कर सकतें हैं बचाव Farmers can protect their crops from cold and frost in this way
कृषि विभाग ने सब्जी की फसल को सर्दी से बचाने जारी की एडवाइजरी

धौलपुर. जिले में ठण्ड के तेवर बढऩे लगे हैं। और न्यूनतम तापमान 4 डिग्री के करीब पहुंच गया है। मौसम विभाग ने भी तापमान में और गिरावट के साथ पाला पडऩे की बात कही है। जिससे आलू एवं सब्जी की फसल को नुकसान हो सकता है। जिसको ध्यान में रखते हुए कृषि विभाग ने ठण्ड में फसल को नुकसान से बचाने के लिए एडवाइजरी जारी की है।
शीत लहर एवं पाले से सर्दी के मौसम में सभी फसलों को नुकसान होता है। पाले के प्रभाव से पौधों की पत्तियां एवं फूल झुलस कर झड़ जाते हंै तथा अध-पके फल सिकुड़ जाते है। फलियां एवं बालियों में दाने नहीं बनते हंै व बन रहे दाने सिकुड़ जाते हैं। जिस कारण कृषकों को फसल की सुरक्षा के उपाय
– सब्जी वाली फसलों में भूमि के ताप को कम न होने देने के लिए फसलों को टाट, पोलीथिन अथवा भूसे से ढक़ देंं। वायुरोधी टाटियां, हवा आने वाली दिशा की तरफ यानि उत्तर-पश्चिम की तरफ बांधे।
– पाला पडऩे की संभावना पर खेतों की मेड़ों पर घास-फूस जलाकर घुंआ करें। इससे फसल के ऊपर धुएं की परत जमा हो जाती है, इससे खेत का तापमान बढ़ जाता है एवं पाले का असर नहीं होता।
– रात्रि में कृषक सिंचाई करने की स्थिति में अलाव जलाकर शरीर को गर्म रखें जिससे शीतलहर का कम असर हो।

– जब पाला पडऩे की संभावना हो तब फसलों में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए। नमीयुक्त जमीन में काफी देरी तक गर्मी रहती है तथा भूमि का तापक्रम एकदम कम नहीं होता है। जिससे तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं गिरेगा और फसलों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है।
– जिन दिनों पाला पडऩे की सम्भावना हो उन दिनों फसलों पर घुलनषील गन्धक 0.2 प्रतिशत (2 ग्राम प्रति लीटर पानी) या व्यापरिक गंधक का तेजाब 1 एम.एल. लीटर में घोल बनाकर छिडक़ाव करें। ध्यान रखें कि पौधों पर घोल की फुहार अच्छी तरह लगे। छिडक़ाव का असर दो सप्ताह तक रहता है।

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