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Emotional Quotient: क्या है इमोशनल इंटेलीजेंस जो बच्चों को रखता है तनाव से दूर, IQ से है कितना अलग? जानिए

Emotional Quotient: EQ का मतलब है इमोशनल कोशेंट या आम भाषा में कहें तो इमोशनल इंटेलिजेंस। Indian Journal of Positive Psychology द्वारा प्रकाशित एक शोध के मुताबिक देखा गया कि जिन बच्चों का EQ अच्छा है उनके सोचने और प्रतिक्रिया देने की शैली में सकारात्मक बदलाव देखा गया।

भारतJun 24, 2025 / 02:23 pm

Shambhavi Shivani

Emotional Quotient

इमोशनल कोशेंट क्या है (क्रेडिट-फ्रीपिक)

Emotional Quotient: भागदौड़ भरी इस जिंदगी में लोग पढ़ाई-लिखाई पर तो काफी जोर देते हैं। लेकिन पढ़ाई और उसके प्रेशर से बच्चे प्रभावित न हो, इसके लिए मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना जरूरी है। अंग्रेजी में एक टर्म है EQ, जिसका अर्थ है इमोशनल कोशेंट। आम भाषा में कहें तो इमोशनल इंटेलिजेंस। इमोशनल इंटेलिजेंस के माध्यम से बच्चों को तनाव से दूर रहना सीखाया जाता है। वहीं एक शोध से पता चला है कि ऐसे बच्चों का IQ भी अच्छा होता है, जिन्हें EQ के गुण सीखाए जाते हैं। आइए, जानते हैं क्या है EQ और क्या कहते हैं रिसर्च-

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शोध में हुआ प्रकाशित 

Indian Journal of Positive Psychology द्वारा प्रकाशित एक शोध के मुताबिक देखा गया कि जिन बच्चों का EQ अच्छा है उनके सोचने और प्रतिक्रिया देने की शैली में सकारात्मक बदलाव देखा गया। बच्चों में आ रही समस्या को लेकर EMONEEDS ने इमोशनल रेगुलेशन इंटरवेंशन प्रोग्राम डिजाइन किया है। स्कूल में जब इसके हिसाब से किशोरियों को प्रशिक्षित किया गया तो पाया गया कि छात्राओं की सोचने और प्रतिक्रिया देने की शैली में सकारात्मक बदलाव आया। 
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2 महीने की ट्रेनिंग के बाद छात्राओं में देखा गया बदलाव 

इस अध्ययन में चंडीगढ़ के कार्मेल कॉन्वेंट स्कूल की 9 वीं से 12 वीं में पढ़ने वाली 13 से 17 साल के बीच की 32 छात्राओं को शामिल किया गया। 10 मॉड्यूल वाले इस प्रोग्राम में 2 महीने की ट्रेनिंग दी गई और इसके बाद इन छात्राओं में एक बेहतर बदलाव देखा गया। 
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Emoneeds की प्रमुख रिसर्चर और मनोवैज्ञानिक डॉक्टर नीरजा अग्रवाल ने बताया, “किशोर उम्र में इमोशनल इंटेलीजेंस विकसित करना न सिर्फ बच्चों को अवसाद, चिंता और तनाव से बचाता है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और संतुलित व्यक्तित्व को गढ़ने में भी मदद करता है।” 

इमोशन को कंट्रोल करना सीखाया गया 

प्रशिक्षण के दौरान छात्राओं को यह सिखाया गया कि कठिन परिस्थितियों में वे कैसे अपनी भावनाओं को पहचानें, नियंत्रित करें और प्रतिक्रिया देने से पहले सोचें। यह कार्यक्रम खासतौर पर इस उम्र की भावनात्मक जटिलताओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया था।
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इंटरवेंशन से पहले और बाद में ‘कॉग्निटिव इमोशन रेगुलेशन क्वेश्चनायर’ (CERQ) के जरिए मूल्यांकन किया गया। परिणाम में देखा गया कि ट्रेनिंग के बाद छात्राओं में 4 गुणों को बढ़ावा मिला। ये चार गुण हैं-
  • स्वीकारना (Acceptance)
  • सकारात्मक पुन: केंद्रीकरण (Positive Refocusing)
  • सकारात्मक पुनर्मूल्यांकन (Positive Reappraisal)
  • योजना पर ध्यान केंद्रित करना (Refocus on Planning)
इसी के साथ ऐसे बच्चे जिनमें EQ विकसित करने की कोशिश की गई, उनमें नकारात्मकता की भावना में कमी आई

भागदौड़ की जिंदगी में भावनात्मक समझ और संतुलन जरूरी 

डॉक्टर नीरजा ने आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में EQ के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि बच्चों को भावनात्मक समझ और संतुलन की जरूरत है। ऐसे में स्कूलों को ऐसे कार्यक्रम चलाने चाहिए जो बच्चों में EQ विकसित करने में मदद करे। Indian Journal of Positive Psychology में प्रकाशित इस शोध में कहा गया कि यदि किशोरों को समय रहते इमोशनल स्किल्स सिखाई जाए, तो वे जिंदगी की चुनौतियों को बेहतर तरीके से संभाल सकते हैं।

क्या है इमोशनल इंटेलिजेंस (Kya Hai Emotional Intelligence) 

इमोशनल इंटेलिजेंस का अर्थ है भावनात्मक बुद्धिमता। कोई व्यक्ति अपनी या किसी अन्य व्यक्ति की भावनाओं को किस प्रकार मैनेज करता है। इमोशनल इंटेलीजेंस (ईआई) को ईक्यू भी कहा जाता है। ज्यादातर मनोचिकित्सक मानते हैं कि आईक्यू की तरह ईक्यू को मापने का कोई पैमाना नहीं है। हर कोई अपनी भावनात्मक बुद्धिमता को बढ़ा सकता है क्योंकि इसे बेहतर करना आसान है। 

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