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इटावा

वृंदावन के प्रेमानंद महाराज के लिए इतनी तड़प, 524 किलोमीटर की पैदल यात्रा, ले जा रहे हैं संगम का जल

Two young men carrying Sangam water for Premanand Acharya Vrindavan वृंदावन के रहने वाले आचार्य प्रेमानंद को रिझाने के लिए दो युवक संगम से जल लेकर जा रहे हैं। करीब 524 किलोमीटर की यात्रा करके वृंदावन पहुंचेंगे। अपनी यात्रा के संदर्भ में उन्होंने कहा कि गुरु की कृपा से ही उनकी यात्रा पूरी हो रही है। ‌

इटावाFeb 13, 2025 / 08:37 pm

Narendra Awasthi

प्रयागराज संगम का जल देकर दो युवक जा रहे हैं वृंदावन
Two young men carrying Sangam jal for Acharya Premanand Vrindavan वृंदावन के आचार्य प्रेमानंद को प्रभावित करने के लिए उनके अनुवाई तरह-तरह के कदम उठा रहे हैं। कोई रंगोली बनाता हैं तो कोई राधे-राधे गाकर आचार्य प्रेमानंद को खुश करना चाहता है। कोई डमरू बजाकर उन्हें रिझाने का प्रयास करता है। इसी क्रम में अलीगढ़ के रहने वाले रोहित मालन और गौरव मालन 400 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर रहे हैं। प्रयागराज संगम से जल लेकर प्रेमानंद आचार्य के लिए जा रहे हैं। इटावा पहुंचे रोहित और गौरव ने बताया कि प्रेमानंद आचार्य वृंदावन छोड़ नहीं सकते हैं। इसलिए संगम जल लेकर उनके पास जा रहे हैं। ‌
संगम जल लेकर जाते रोहित और गौरव
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उत्तर प्रदेश के इटावा पहुंचे रोहित मालन और गौरव मालन निवासी अलीगढ़ संगम से जल लेकर वृंदावन जा रहे हैं। 10 दिनों की यात्रा करके दोनों इटावा पहुंचे। उन्होंने बातचीत करते के दौरान कहा कि गुरु के आशीर्वाद से ही कठिन यात्रा पूरी हो रही है। गौरव मालन ने बताया कि संगम से इटावा तक की यात्रा के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन गुरु के प्रति समर्पण ने हर मुश्किलों को आसान कर दिया। लोगों ने रास्ते में उनके खाने-पीने की व्यवस्था की। उनकी यात्रा का उद्देश्य गुरु के प्रति श्रद्धा और समर्पण व्यक्त करना है। ‌
संगम जल लेकर जाते

क्या कहते हैं रोहित मालन?

रोहित मालन ने अपनी यात्रा के संदर्भ में कहा कि गुरु के आशीर्वाद से ही उनकी यात्रा पूरी हो रही है। 10 दिन की यात्रा में इटावा पहुंचे हैं। अभी लगभग 175 किलोमीटर की और यात्रा है। गुरु कृपा से यह भी पूरी हो जाएगी। आचार्य प्रेमानंद महाराज ने कहा था कि संगम भूमि पर एक साथ संत महात्माओं के दुर्लभ दर्शन होंगे। ‌ लेकिन वह वृंदावन छोड़कर नहीं जाएंगे। इसके बाद अलीगढ़ के रहने वाले रोहित और गौरव ने संगम का जल लेकर आचार्य प्रेमानंद के पास आने का संकल्प लिया।
संगम से वृंदावन की यात्रा 524 किलोमीटर की

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