CG Govt School: पूरी योजना मटियामेट..
CG Govt School: हालांकि, मामले में डीपीआई ने अफसरों से रिपोर्ट मांग ली। अब कहीं जिले का शिक्षा विभाग यह मानने को तैयार है कि
भाजपा सरकार में खुले तीन इग्नाइट स्कूल अब संचालित नहीं हैं। वहीं, 7 स्कूलों को स्वामी आत्मानंद प्रोजेक्ट में मर्ज करने की बात कही जा रही है। अब भी बड़ा सवाल ये है कि जब कोई सरकारी आदेश ही नहीं था तो इग्नाइट स्कूलों को बंद करने की जरूरत ही क्या थी?
अगर इग्नाइट प्रोजेक्ट को जारी रखते हुए आत्मानंद योजना भी लागू की गई होती तो आज गरियाबंद जिले में 15 सरकारी
इंग्लिश मीडियम स्कूल होते। विभागीय सूत्रों की मानें तो इस पूरे गड़बड़झाले की रिपोर्ट तैयार हो गई है। संभवत: सोमवार को डीपीआई के सामने पेश की जा सकती है। सरकारी की योजना को मनमर्जी से बंद करने वाले अफसरों पर विभाग क्या कार्रवाई करता है, यह आगे ही पता चलेगा।
सेम-सेम इसलिए नहीं…
जिले के कुछ अफसर इग्नाइट के स्वामी आत्मानंद स्कूल में मर्ज होने को ये कहकर सही बता रहे हैं कि स्कूल तो चल ही रहे हैं। पढ़ाई वही हो रही है। तो बता दें कि यह बिलकुल गलत बात है। इग्नाइट में सीबीएसई पैटर्न पर पढ़ाई कराई जानी थी।
स्वामी आत्मानंद स्कूलों में सीजी बोर्ड से पढ़ाई हो रही है। हम ये नहीं कह रहे कि किसी के शिक्षा का स्तर ऊंचा या किसी का नीचा है। बात बस इतनी है कि दोनों बोर्ड में अंतर है। सरकार ने जिस मकसद से इग्नाइट स्कूलों को खोला गया, अफसरों की मनमर्जी ने उसे खत्म कर दिया।
2018 में सरकार ने जब इन 10 इंग्लिश मीडियम स्कूलों की शुरुआत की थी, तो यहां सीबीएसई पैटर्न पर पढ़ाई शुरू की गई। इन स्कूलों को
सीबीएसई में रजिस्टर्ड कराने के नाम पर पैसे भी निकाले गए। शिक्षा विभाग के दावे के मुताबिक, इनमें से 7 स्कूल अब आत्मानंद प्रोजेक्ट के तहत चल रहे हैं। जबकि, तीन स्कूलों में पहले की तरह हिंदी में पढ़ाई करवाई जा रही है। यानी दसों स्कूल सीजी बोर्ड की एग्जाम दिलवा रहे हैं। बड़ा सवाल ये भी है कि आखिर वो पैसे कहां गए जो सीबीएसई में रजिस्ट्रेशन के लिए निकाले गए थे!