फिर इंग्लिश शिक्षकों को हिंदी माध्यम स्कूलों में पढ़ाने भेज दिया। अब विभाग को यही नहीं पता कि भर्ती किनकी हुई थी। इसे समझना अगर आपको पेचीदा लग रहा है तो यकीन मानिए, अफसरों ने इतनी ही पेचिदगी के साथ पूरे कारनामे को अंजाम दिया है।
Swami Atmanand School: सूची इसलिए जरूरी… 6 का ही रेकॉर्ड, 4 का कोई अता-पता नहीं
आरटीआई के जवाब में जिला शिक्षा कार्यालय ने साफ कर दिया है कि उनके पास चयन सूची का रेकॉर्ड नहीं है। विश्वसनीय विभागीय सूत्र बताते हैं कि
आरटीआई में जब चयन सूची मांगी गई, तो रेकॉर्ड खंगाला गया। पुराने अफसरों ने जाने से पहले जिस तरह फाइलें गायब की, उसे देखकर मौजूदा अफसरों के भी होश फाख्ता हो उठे।
बताते हैं कि जवाब देने के लिए आनन-फानन में जिले के सभी ब्लॉक एजुकेशन
अफसरों को फोन मिलाया गया। इंग्लिश स्कूल की भर्ती वाले कितने शिक्षक उनके यहां काम कर रहे हैं, इसकी जानकारी मांगी गई। जो 6 आदेश मिले, आरटीआई के जवाब में वही थमा दिया गया। ऐसे में पूरे मामले की बारीक जांच की मांग उठ रही है।
डीईओ दफ्तर में भी जानकारी नहीं थी, सभी बीईओ से मंगाई
दरअसल, गरियाबंद डीईओ दफ्तर में आरटीआई लगाकर इग्नाइट स्कूलों में भर्ती शिक्षकों की चयन सूची मांगी गई थी। विभाग ने जवाब में बताया कि ऐसी किसी सूची का संधारण नहीं किया गया है। जबकि, कायदे से जिला
शिक्षा अधिकारी के दफ्तर में ऐसे सभी रेकॉर्ड मेंटेन करने के लिए अलग से एक बाबू की ड्यूटी लगाई जाती है। खैर, विभाग ने तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी के वो आदेश मुहैया कराए, जिनमें इंग्लिश स्कूल के शिक्षकों को हिंदी माध्यम स्कूलों में जॉइनिंग की बात कही गई थी।
अब बड़ा सवाल ये है कि जब चयन सूची ही नहीं, तो ये कैसे पता चला कि भर्ती किनकी हुई थी? नौकरी किन्हें दी! जिस तरह बंद हो चुके स्कूलों में भर्ती कराई गई है, उससे पूरी भर्ती प्रक्रिया पर ही सवाल उठ रहे हैं। इस मामले की शिकायती चिट्ठी
शिक्षा विभाग के अवर सचिव और डीपीआई तक भी पहुंच चुकी है।
6 शिक्षकों की भर्ती
गरियाबंद के डीईओ एके सारस्वत ने कहा की इग्नाइट स्कूल में 10 पदों पर भर्ती निकली थी। 6 पद भरे गए। मेरी जानकारी के मुताबिक 4 ने जॉइनिंग नहीं दी थी। राजिम से व्हिसिल ब्लोअर बलवंत राव शिंदे ने 2022 में हुई इन भर्तियों में बड़े गड़बड़झाले का संदेह जताया है। विभाग ने
आरटीआई के जवाब में उन्हें महज 6 शिक्षकों की जानकारी उपलब्ध करवाई।
जबकि, यहां 10 पदों पर भर्ती निकाली गई थी। इधर, शिक्षा विभाग के
अफसरों का कहना है कि 10 पदों पर भर्तियां जरूर निकलीं, लेकिन जॉइनिंग केवल 6 ने ही दी। 4 ने इंटीरियर इलाके के स्कूलों में जाने से मना कर दिया। शिंदे कहते हैं कि अगर 6 ही शिक्षकों की भर्ती हुई है तो इसका लिखित साक्ष्य भी मुहैया कराना था। चयन सूची के बदले शिक्षा विभाग ने शिक्षकों की जॉइनिंग का आदेश थमा दिया। इससे साफ नहीं होता कि नौकरी कितनों को मिली और वास्तव में चयनित अभ्यर्थी कौन हैं!