इतिहास के स्वर्ण अक्षरों मे अंकित है अहिल्याबाई का जीवन
कार्यक्रम में प्रतिभागी बच्चों ने अपने भाव एवम् विचारों को एक एक कर प्रस्तुत किया। प्रतिभागी बच्चों ने माता अहिल्या बाई होल्कर के बारे मे बताते हुये कहा कि,”आज हम सब यहाँ एक महान नायिका और साहसी महिला की जयंती पर एकत्र हुए हैं, जिनका नाम इतिहास के स्वर्ण अक्षरों मे लिखा गया है। अहिल्याबाई होल्कर ,जिनका जन्म 31 मई 1725 को हुआ था, मराठा साम्राज्य की प्रसिद्ध महारानी तथा इतिहास-प्रसिद्ध सूबेदार मल्हारराव होलकर के पुत्र खण्डेराव की धर्मपत्नी थीं। माहेश्वर को राजधानी बनाकर शासन किया।
अहिल्याबाई का जीवन…नारी शक्ति का अनुपम उदाहरण
अहिल्याबाई ने अपने राज्य की सीमाओं के बाहर भारत-भर के प्रसिद्ध तीर्थों और स्थानों में मन्दिर बनवाए, घाट बँधवाए, कुओं और बावड़ियों का निर्माण किया, मार्ग बनवाए-काशी विश्वनाथ में शिवलिंग को स्थापित किया, भूखों के लिए अन्नसत्र खोले, प्यासों के लिए प्याऊ बिठलाईं, मन्दिरों में विद्वानों की नियुक्ति शास्त्रों के मनन-चिन्तन और प्रवचन हेतु की।प्रतिभागियों ने इस तरह अपने विचारो को व्यक्त किया और आगे बताया कि अहिल्या बाई का जीवन संघर्ष, साहस और नारी शक्ति का अद्वितीय उदाहरण हैं।
अहिल्याबाई का जीवन प्रेरणादायक
अहिल्या बाई का जीवन यह सिखाता है कि किसी भी क्षेत्र मे महिलाओ का नेतृत्व उतना ही प्रभावी और मजबूत हो सकता है, जितना पुरुषो का, उन्होंने दिखाया कि नारी शक्ति की कोई सीमा नही है।माता अहिल्या बाई होल्कर का जीवन हमे प्रेरणा देता है कि जीवन मे अनेक संघर्षो के बावजूद हमे अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिये और अपने समाज की सेवा करनी चाहिए। इस प्रतियोगिता का समापन करते हुये प्रोफेसर दिव्या रानी सिंह ने कहा कि आज हम सभी को माता अहिल्या बाई के योगदान को याद करते हुये उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए और समाज मे समानता और सम्मान की दिशा मे कार्य करना चाहिए।
ये हुए सम्मानित
इसके पश्चात प्रतियोगियो मे से प्रथम स्थान प्राप्तकर्ता आँचल, द्वितीय स्थान निकिता सिंह, तृतीय स्थान गौरी गौंड तथा संत्वना के रूप मे प्रथम स्थान राखी गुप्ता तथा द्वितीय संत्वना पुरष्कार अनुप्रिया यादव ने प्राप्त किया। इन्हे पुरष्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया। विभाग के अन्य सदस्यों ने भी इस प्रतियोगिता में अपना सहयोग प्रदान किया जिससे यह कार्यक्रम सफलतापूर्वक सफल हुआ।