सनातन परंपरा के प्रति उन्होंने कभी नहीं की घृणा
बाबा साहब जैसे इतने बड़े समाज सुधारक को एक सीमित जाति में बांध कर रख दिया गया। डा. भीमराव रामजी अंबेडकर के नाम से जो राम नाम गायब किया गया था, आज उसे उनके नाम से जोड़ा गया है। प्रांत प्रचारक ने कहा कि डा. अंबेडकर ने 32 डिग्रियां हासिल की थीं। ये डिग्रियां उस समय अर्जित की हैं जब परिस्थितियां बिल्कुल विषम थीं। इसके बाद भी हिन्दू व सनातन परंपरा के प्रति उन्होंने कभी घृणा नहीं की। उन्होंने संदेश दिया कि शिक्षित बनो, संघर्ष करो, संगठित रहो। यही काम राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ कर रहा है।
संघ से प्रभावित थे बाबा साहब, वामपंथियों ने विषवमन किया
स्वयं सेवकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि 1939 में संघ के एक शिविर में जाकर उन्होंने जो समानता, समरसता, एकरसता देखी, देश व समाज के प्रति सर्वस्व समर्पण का भाव देखा। उन्होंने डा. केशवराव बलिराम हेडगेवार से कहा कि संघ की गति थोड़ी बढ़ानी पड़ेगी। जो समानता का भाव देखने को मिल रहा है। उन्होंने कहा था कि संघ का भविष्य उज्जवल है। उन्होंने कहा था कि संघ जितना समाज में समरस होगा, समाज उतना ही सशक्त होगा। प्रांत प्रचारक ने कहा कि कुछ लोग आज समाज में अलग-अलग तरह के भ्रम पैदा करते हैं। ऐसे तथाकथित लोगों से समाज को बचाना होगा।
शताब्दी वर्ष में संघ 6 लाख गांवों तक पहुंचेगा
प्रांत प्रचारक ने कहा कि 2 अक्टूबर 2025 से शताब्दी समारोह मनाया जाएगा। सात चरणों में अलग-अलग कार्यक्रम होंगे। शाखा संगम के माध्यम से यह प्रयास किया गया है कि स्वयं सेवकों में मानस भाव बने कि सामूहिक कार्यक्रम कैसे करना है। इस बार हमें साढ़े 6 लाख गांवों में जाना है। सोमवार को एक ही मैदान में अलग-अलग शाखाएं लगी थीं। हर आयु वर्ग के स्वयंसेवक मौजूद थे। बाल स्वयं सेवक भी पूरे उत्साह के साथ आए थे। शाखा में आयोजित होने वाली गतिविधियां यहां संचालित थीं।