सूक्ष्म व्यायाम एवं प्राणायाम का अभ्यास
इस कार्यक्रम में सरल लेकिन प्रभावी आसन (योग मुद्राएँ) शामिल की गई हैं, जो लचीलापन बढ़ाने, ध्यान केंद्रित करने और मानसिक संतुलन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से तैयार किए गए हैं। कार्यक्रम की कड़ी में योग प्रशिक्षिका नीलम जी ने सर्वप्रथम सूक्ष्म व्यायाम एवं प्राणायाम का अभ्यास कराया योग आरंभ करने से पहले उन्होंने बालिकाओं से ओम का उच्चारण करवाया।
स्कूल की लड़कियों को उपयोगी होंगे ये आसन
स्कूल की लड़कियों की भलाई में निम्न आसनों को कराया जैसे ताड़ासन (माउंटेन पोज़), बद्धकोणासन (बटरफ्लाई पोज़), और बालासन (चाइल्ड पोज़), वृक्षासन, भुजंगासन, वज्रासन, सर्वांगासन, शवासन अर्ध -मत्स्येन्द्रासन एवं अंत में सूर्य नमस्कार ताकि लड़कियाँ बेहतर ध्यान केंद्रित कर सकें, अपने शरीर की स्थिति में सुधार कर सकें और तनावपूर्ण समय के दौरान मानसिक शांति प्राप्त कर सकें।
दिव्यांग बच्चों के लिए उपयोगी होगा योग
इसके अलावा स्पेशल एबल्ड गर्ल्स के लिए कुछ अन्य आसन सुप्तबद्ध कोणासन, सेतुबंधासन, भ्रामरी प्राणायाम, वृक्षासन, कबूतर आसान आदि कराया गया। ये सरल आसन केवल शारीरिक लचीलापन को ही नहीं बढ़ाते, बल्कि मानसिक स्थिति और भावनात्मक संतुलन को भी बढ़ावा देते हैं, जो लड़कियों के किशोरावस्था के दौर में तनाव और दबाव को सहन करने में सहायक होते हैं। योग के दौरान अनुलोम विलोम का अभ्यास कराया ताकि अंदर की ऊर्जा शक्ति बढ़ा सके। अनुलोम विलोम शुद्ध ऑक्सीजन शरीर के अंदर ले जाता है तथा अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालता है।कपालभाति प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है तथा शरीर को लगभग पचास प्रतिशत रोग मुक्त करता है।
पाठ्यक्रम का अभिन्न हिस्सा बने योग
स्कूल की लड़कियों के दिनचर्या में योग और आसन को शामिल करके, शिक्षकों का उद्देश्य शारीरिक और मानसिक भलाई की जीवनभर की आदतें डालना है। एक ऐसे समय में जब डिजिटल विकर्षण लगातार बढ़ रहे हैं और जीवन की गति तेज हो रही है, ऐसे कार्यक्रम युवतियों को उनके शरीर और मन से जुड़ने का एक अवसर प्रदान करते हैं, जिससे वे संतुलित और स्वस्थ जीवन जी सकें।इसके साथ ही अधिक स्कूलों द्वारा योग को अपनी पाठ्यक्रम का अभिन्न हिस्सा बनाने की उम्मीद जताई जा रही है, ताकि छात्रों के लिए स्वस्थ, खुशहाल और संतुलित जीवन का आधार तैयार किया जा सके।
योग के महत्व को किया गया रेखांकित
इस कार्यक्रम में महिला अध्ययन केंद्र की निदेशक प्रोo दिव्या रानी सिंह एवं प्रोo संगीता पांडे, सोशियोलॉजी विभाग, गोरखपुर विश्वविद्यालय योग के महत्व को रेखांकित करते हुए बताया की विद्यालयी जीवन में मानसिक और शारीरिक भलाई के लिए शारीरिक गतिविधियों का महत्व अचूक है, खासकर उन विद्यार्थियों के लिए जो तनाव, चिंता और अकादमिक दबाव का सामना कर रहे हैं।
योग सामाजिक कल्याण के लिए लाभकारी: प्रो. दिव्या सिंह
प्रोo दिव्या सिंह ने बताया कि योग न केवल व्यक्तिगत भलाई को बढ़ावा देता है, बल्कि यह सामूहिक कल्याण के लिए भी लाभकारी होता है। जब एक व्यक्ति मानसिक शांति और शारीरिक स्वास्थ्य प्राप्त करता है, तो वह समाज में सकारात्मक योगदान कर सकता है। इससे समाज में तनाव कम होता है और सहयोग की भावना बढ़ती है।
इनकी रही उपस्थ कार्यक्रम में कस्तूरबा गांधी विद्यालय की वार्डन श्रीमती प्रयंका भी उपस्थिति रही इनके सहयोग से कार्यक्रम सफल रहा।विद्यालय की शिक्षिकाओं के साथ साथ गृह विज्ञान विभाग की शोध छात्राएं , काजोल आर्यन, शिवांगी मिश्रा, कीर्ति उपस्थित रही।