इस पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब, ब्लड बैंक प्रभारी अर्चना छारी ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) को पत्र लिखकर इस गंभीर लापरवाही की जानकारी दी। पत्र में उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि लाइसेंस रिन्यू होने तक ब्लड बैंक के किसी भी स्टाफ का ट्रांसफर न किया जाए। अब इस खुलासे के बाद अस्पताल और जिला प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है।
Chocolate Day : नहीं जानते होंगे चॉकलेट खाने के ये 7 जबरदस्त फायदे, छिपा है सेहत का राज 2011 से नहीं हुआ लाइसेंस रिन्यू
ग्वालियर जिला अस्पताल का ब्लड बैंक 2011 में अपने लाइसेंस रिन्यू नहीं करा पाया था, लेकिन इसके बावजूद भी यह ब्लड बैंक धड़ल्ले से कार्य कर रहा था। 14 साल तक बिना लाइसेंस ब्लड सैंपल की जांच और रक्तदान की प्रक्रिया चलती रही, लेकिन किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने इस पर ध्यान नहीं दिया।
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भारत में ब्लड बैंक संचालित करने के लिए फूड एंड ड्रग कंट्रोल मंत्रालय से लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य होता है। लाइसेंस रिन्यू कराने की प्रक्रिया में ब्लड बैंक को निर्धारित फीस के साथ आवेदन करना पड़ता है। इसके बाद भारत सरकार की टीम ब्लड बैंक का निरीक्षण करती है और दिल्ली में रिपोर्ट प्रस्तुत करती है। इसके बाद अगर ब्लड बैंक सभी मानकों पर खरा उतरता है, तो भोपाल स्थित फूड एंड ड्रग कंट्रोल विभाग द्वारा लाइसेंस जारी किया जाता है।
लेकिन ये ब्लड बैंक इस पूरी प्रक्रिया और मंजूरी के बिना ही चलता रहा। अब फूड एंड ड्रग कंट्रोल मंत्रालय इस पूरे मामले की जांच करेगा और यह तय करेगा कि ब्लड बैंक को लाइसेंस दिया जाए या फिर कार्रवाई की जाए।