मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला हनुमानगढ़ के प्रभारी गुरसेवक सिंह तूर के अनुसार सॉयल हेल्थ कार्ड के आंकड़ों पर गौर करेंगे तो जिले की मिट्टी की सेहत बीते पांच-छह महीने में कुछ सुधरी है। पूर्व के बरसों में पीएम मान 8 प्रतिशत तक देखने को मिला था, अब पांच प्रतिशत देखने को मिला है। तूर ने बताया कि कृषि विभाग की ओर से इस बार जिप्सम का वितरण किया गया है। इसके कारण मृदा क्षारीयता कम हुई है। किसानों को सलाह दी जाती है कि वह गोबर व जैविक खाद का अधिकाधिक उपयोग करें। ताकि मिट्टी की ऊपजाऊ क्षमता बढ़े।
चालू बरस में किसान भूमि में सल्फर व जिप्सम मिलाने लगे हैं। इससे भविष्य में अच्छे नतीजे आएंगे। बीते खरीफ सीजन में हनुमानगढ़ जिले में 15 हजार मिट्टी के नमूने लेने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इसमें लक्ष्य पूरे कर लिए गए हैं। इसी तरह रबी सीजन में 20 हजार नमूने लेने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसमें से 13 हजार नमूने ले लिए गए हैं। इनकी जांच कर इनकी रिपोर्ट ऑनलाइन की जा रही है।
जानकारी के अनुसार अंधाधुंध कीटनाशकों के इस्तेमाल से देश की 25 प्रतिशत भूमि कृषि योग्य नहीं रही है। खतरनाक स्तर तक कीटनाशक मिलने के कारण विभिन्न देश हमारी कई फसलों व फलों पर प्रतिबंध लगा चुके हैं। जो खेती के लिहाज से सुखद संकेत नहीं है। जैव विविधता और मानव जाति को बचाने के लिए जरूरी है कि इको फ्रेंडली एग्रीकल्चर को बढ़ावा मिले। वर्तमान में पराली को जलाने पर भूमि में निवास करने वाले कई मित्र कीट जल रहे हैं। इससे भी मिट्टी की उर्वरा शक्ति प्रभावित हो रही है। किसी वक्त सोना उगलने वाली हमारी मिट्टी अब खराब हो रही है।