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हनुमानगढ़

जहर मुक्त होगी खेती तभी सबकी सेहत होगी दुरुस्त

हनुमानगढ़. खेती को जहर मुक्त करने की जरूरत है। नहीं तो भूमि की सेहत तो खराब होगी ही, इससे मानव का सेहत भी दिनोंदिन खराब होता चला जाएगा।

हनुमानगढ़Feb 11, 2025 / 08:32 pm

Purushottam Jha

जहर मुक्त होगी खेती तभी सबकी सेहत होगी दुरुस्त

जहर मुक्त होगी खेती तभी सबकी सेहत होगी दुरुस्त

-रासायनिक खाद को दरकिनार कर गोबर खाद के उपयोग से ही मिट्टी की सुधरेगी सेहत
-जिप्सम वितरण से जिले की मिट्टी में सुधार की उम्मीद
हनुमानगढ़. खेती को जहर मुक्त करने की जरूरत है। नहीं तो भूमि की सेहत तो खराब होगी ही, इससे मानव का सेहत भी दिनोंदिन खराब होता चला जाएगा। जिले की स्थिति यह है कि किसान लगातार रासायनिक खाद का उपयोग कर रहे हैं। ऐसे में मिट्टी में जहर घुलने से मानव सेहत पर भी खतरा मंडरा रहा है। खेती को जहर मुक्त बनाने के लिए सरकार स्तर पर ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
जैविक या प्राकृतिक खेती को सरकार स्तर पर प्रोत्साहन देने पर ही सुधार की कुछ उम्मीद की जा सकती है। भविष्य की जरूरत को भांपकर कुछ किसान हालांकि सजग होकर जैविक खेती करने लगे हैं। इससे उनके खेतों की उर्वरा शक्ति भी अब ठीक हो रही है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार भूमि में विद्युत चालकता 0.5 मिली म्हौज प्रति सेमी होने पर बीज का अंकुरण तीव्र गति से होता है। इस मात्रा के कम ज्याद होने पर जमीन की अंकुरण क्षमता क्षीण यानि खत्म होने लगती है। बीते बरसों में हनुमानगढ़ की जमीन में विद्युत चालकता 1.0 से 5.0 मिली म्हौज प्रति सेमी तक रही है। जो खतरनाक स्थिति की आहट देता है। जैविक खेती करने वाले किसान भगवान सिंह खुरी कहते हैं कि किसानों को सोचना चाहिए कि हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम की रही है। ऐसे में हम इनका पेट भरने के लिए कैसा अन्न पैदा कर रहे हैं। जिससे उनकी सेहत पर खतरा मंडरा रहा है। खुरी समझदारी से काम लेकर जैविक खेती करने पर जोर देते हैं।
कुछ हो रहा सुधार
मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला हनुमानगढ़ के प्रभारी गुरसेवक सिंह तूर के अनुसार सॉयल हेल्थ कार्ड के आंकड़ों पर गौर करेंगे तो जिले की मिट्टी की सेहत बीते पांच-छह महीने में कुछ सुधरी है। पूर्व के बरसों में पीएम मान 8 प्रतिशत तक देखने को मिला था, अब पांच प्रतिशत देखने को मिला है। तूर ने बताया कि कृषि विभाग की ओर से इस बार जिप्सम का वितरण किया गया है। इसके कारण मृदा क्षारीयता कम हुई है। किसानों को सलाह दी जाती है कि वह गोबर व जैविक खाद का अधिकाधिक उपयोग करें। ताकि मिट्टी की ऊपजाऊ क्षमता बढ़े।
मिट्टी के इतने नमूने लिए
चालू बरस में किसान भूमि में सल्फर व जिप्सम मिलाने लगे हैं। इससे भविष्य में अच्छे नतीजे आएंगे। बीते खरीफ सीजन में हनुमानगढ़ जिले में 15 हजार मिट्टी के नमूने लेने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इसमें लक्ष्य पूरे कर लिए गए हैं। इसी तरह रबी सीजन में 20 हजार नमूने लेने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसमें से 13 हजार नमूने ले लिए गए हैं। इनकी जांच कर इनकी रिपोर्ट ऑनलाइन की जा रही है।
सोना उगलने वाली मिट्टी हो रही खराब
जानकारी के अनुसार अंधाधुंध कीटनाशकों के इस्तेमाल से देश की 25 प्रतिशत भूमि कृषि योग्य नहीं रही है। खतरनाक स्तर तक कीटनाशक मिलने के कारण विभिन्न देश हमारी कई फसलों व फलों पर प्रतिबंध लगा चुके हैं। जो खेती के लिहाज से सुखद संकेत नहीं है। जैव विविधता और मानव जाति को बचाने के लिए जरूरी है कि इको फ्रेंडली एग्रीकल्चर को बढ़ावा मिले। वर्तमान में पराली को जलाने पर भूमि में निवास करने वाले कई मित्र कीट जल रहे हैं। इससे भी मिट्टी की उर्वरा शक्ति प्रभावित हो रही है। किसी वक्त सोना उगलने वाली हमारी मिट्टी अब खराब हो रही है।

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