Cervical Cancer की जांच अब आसान, एम्स ने बनाया खास ब्लड टेस्ट
Blood test for cervical cancer : दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के डॉक्टरों ने एक नई उम्मीद जगाई है। अब सिर्फ खून की एक बूंद से यह पता लगाया जा सकता है कि गर्भाशय-ग्रीवा (सर्वाइकल) कैंसर का इलाज असरदार है या नहीं, और यहां तक कि रोग की वापसी भी पहले से पहचानी जा सकती है।
Simple Blood Test to Track Cervical Cancer Therapy AIIMS Introduces Painless Blood Test
AIIMS Cervical Cancer Test : दिल्ली के एम्स (AIIMS) के डॉक्टरों ने एक नया तरीका खोजा है जिससे यह पता चल सकेगा कि किसी महिला को ग्रीवा कैंसर (Cervical cancer) का इलाज सही से काम कर रहा है या नहीं, या फिर कैंसर दोबारा तो नहीं आ रहा है।
उन्होंने खून की जांच करके यह पता लगाया है। ज्यादातर ग्रीवा कैंसर (Cervical cancer)) एक खास वायरस, एचपीवी (HPV) की वजह से होता है। डॉक्टरों ने पाया कि जिन महिलाओं को ग्रीवा कैंसर था, उनके खून में इस वायरस के डीएनए के छोटे-छोटे टुकड़े घूम रहे थे। ट्यूमर (गांठ) जितना बड़ा था, खून में इन टुकड़ों की मात्रा उतनी ही ज्यादा थी।
जब मरीजों का इलाज शुरू हुआ तो उनके खून में इन डीएनए के टुकड़ों की मात्रा कम होने लगी। इससे पता चला कि कैंसर की कोशिकाएं इलाज पर असर दिखा रही हैं।
Cervical cancer : यह खोज क्यों है जरूरी?
यह बहुत बड़ी बात हो सकती है, क्योंकि भारत में महिलाओं में होने वाले कैंसर में ग्रीवा कैंसर दूसरा सबसे आम कैंसर है। और 95% से ज्यादा मामले एचपीवी वायरस के कारण होते हैं। अभी जो जांच और फॉलो-अप के तरीके हैं, वे मुश्किल और महंगे हैं। खून की जांच एक सस्ता विकल्प हो सकती है।
यह भी पढ़ें : Heart Disease Detection App : दिल की बीमारी अब पकड़ेगा मोबाइल, 14 साल के सिद्धार्थ ने कर दिखाया कमाल एम्स के डॉक्टर मयंक सिंह ने बताया कि कैंसर के मरीजों को बार-बार जांच और स्कैन करवाने पड़ते हैं यह देखने के लिए कि उनका इलाज ठीक चल रहा है या नहीं और बाद में कैंसर दोबारा तो नहीं आ गया। खून की जांच से यह खर्चा कम हो सकता है। सिर्फ उन लोगों को ही पूरे शरीर का स्कैन करवाने की जरूरत होगी जिनके खून में कैंसर के निशान ज्यादा दिखेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि कभी-कभी खून में कैंसर के निशान स्कैन में दिखने से पहले ही पता चल जाते हैं, जिससे कैंसर के दोबारा होने का जल्दी पता चल सकता है।
जांच में क्या मिला?
डॉक्टरों ने एक बहुत ही संवेदनशील जांच का इस्तेमाल किया जिससे एचपीवी के दो सबसे खतरनाक प्रकारों (HPV16 और HPV18) के डीएनए की बहुत थोड़ी मात्रा भी खून में पकड़ी जा सकी। उन्होंने 60 ऐसी महिलाओं को चुना जिन्हें ग्रीवा कैंसर था और जिनका इलाज शुरू नहीं हुआ था। उन्होंने 10 स्वस्थ महिलाओं से भी खून के नमूने लिए ताकि उनसे तुलना कर सकें।
कैंसर वाली महिलाओं के खून में वायरस के डीएनए की मात्रा औसतन 9.35 ng/µL थी, जबकि स्वस्थ महिलाओं में यह 6.95 ng/µL थी। डॉक्टरों ने यह भी दिखाया कि तीन महीने के इलाज के बाद, कैंसर वाली महिलाओं के खून में डीएनए की मात्रा घटकर 7 ng/µL हो गई।
अगर यह जांच ज्यादा लोगों पर भी सफल साबित होती है, तो इसका इस्तेमाल शुरुआती पहचान और जल्दी पता लगाने के लिए भी किया जा सकता है। क्योंकि अस्पताल पहुंचने वाले 90% मरीज़ पहले ही बीमारी के दूसरे या तीसरे चरण में होते हैं। बाद के चरणों में पता चलने पर बचने की संभावना कम हो जाती है।
अभी ग्रीवा कैंसर की जांच के लिए ज्यादातर पैप स्मीयर (Pap smear) टेस्ट होता है, जिसमें गर्भाशय ग्रीवा (cervix) से कोशिकाओं को लेकर माइक्रोस्कोप से जांचा जाता है कि उनमें कोई बदलाव तो नहीं है। गरीब इलाकों में एक और तरीका इस्तेमाल होता है, जिसे विज़ुअल इंस्पेक्शन विद एसिटिक एसिड (visual inspection with acetic acid) कहते हैं। इसमें गर्भाशय ग्रीवा पर 3-5% एसिटिक एसिड का घोल लगाया जाता है, जो कैंसर वाली कोशिकाओं से मिलकर सफेद रंग का दिखता है।
WHO के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में भारत में गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के मामले: 1.27 लाख
मौतें: 79,979
भारत में औसत सर्वाइवल रेट: मात्र 46%
चौंकाने वाली बात यह है कि 90% महिलाएं अस्पताल तब पहुंचती हैं जब बीमारी दूसरी या तीसरी स्टेज में होती है।
टीका लगवाना है जरूरी
अच्छी बात यह है कि ग्रीवा कैंसर उन कुछ कैंसर में से एक है जिसका टीका लगवाया जा सकता है। सरकार 9 से 14 साल की लड़कियों को ग्रीवा कैंसर का टीका लगाने पर विचार कर रही है।
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