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Rice Increase Cancer Risk : कौनसा चावल खाते हैं आप सफेद या ब्राउन , ये वाला चावल बढ़ाता है कैंसर का खतरा , रिपोर्ट में उठे सवाल

White Rice vs Brown Rice : क्या ब्राउन राइस वाकई में वाइट राइस से ज्यादा हेल्दी है? एक नई स्टडी ने यह पता चला है ब्राउन राइस के अधिक सेवन से कैंसर का खतरा बढ़ता है।

भारतApr 12, 2025 / 11:46 am

Manoj Kumar

Brown Rice Increase Cancer Risk
Brown Rice Increase Cancer Risk : ब्राउन राइस को अक्सर सफेद चावल से ज़्यादा सेहतमंद माना जाता है। इसमें फाइबर, विटामिन और खनिज भरपूर होते हैं, और ये पूरा अनाज होने की वजह से सेहत के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। लेकिन इस दिखने वाली अच्छी चीज में एक छिपा हुआ खतरा है जिसके बारे में ज्यादा लोग बात नहीं करते। एक नई स्टडी ने यह पता चला है ब्राउन राइस के अधिक सेवन से कैंसर का खतरा (Cancer Risk) बढ़ता है।
हाल ही में ‘रिस्क एनालिसिस‘ नाम के जर्नल में छपी एक नई रिसर्च में चेतावनी दी गई है कि ब्राउन राइस में एक जहरीली धातु होती है जो दिमाग की सेहत के लिए, खासकर छोटे बच्चों के लिए, बहुत बुरी हो सकती है।

आर्सेनिक का साया: छोटे बच्चों के लिए चिंता की बात

मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के रिसर्च करने वालों ने पाया है कि ब्राउन राइस में आर्सेनिक नाम की एक जहरीली धातु का स्तर 15 प्रतिशत ज़्यादा होता है। आर्सेनिक कैंसर और दिमाग को नुकसान पहुंचाने से जुड़ी हुई है। सेहतमंद बड़ों को इससे उतना फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन छोटे बच्चों के दिमाग के विकास के लिए यह परेशानी की बात हो सकती है।
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तो खतरा खासकर उन बच्चों के लिए है जो छह महीने से लेकर दो साल (यानी 24 महीने) के बीच के हैं। स्टडी में पता चला है कि जो बच्चे इस उम्र में ब्राउन राइस खाते हैं, उनके शरीर में सफेद चावल खाने वाले बच्चों के मुकाबले लगभग दोगुना आर्सेनिक पहुंचता है, अगर दोनों बराबर मात्रा में चावल खा रहे हों तो।

दिमाग पर बुरा असर: सीखने और व्यवहार में दिक्कतें

छोटे बच्चों को अगर आर्सेनिक के संपर्क में लाया जाए, तो ये उनके दिमाग के बढ़ने में रुकावट डाल सकता है। इसका सीधा असर उनकी समझने-सीखने की क्षमता पर पड़ता है, जिससे उन्हें पढ़ाई में दिक्कत आ सकती है और उनका व्यवहार भी बदल सकता है।
कुछ रिसर्च तो ये भी बताती हैं कि आर्सेनिक के संपर्क में आने से बच्चों में ऑटिज्म और ADHD (ध्यान भटकने और अति सक्रियता की बीमारी) होने का खतरा भी बढ़ सकता है। भले ही आर्सेनिक की मात्रा कम हो लेकिन अगर लंबे समय तक बच्चा इसके संपर्क में रहे तो उसके दिमाग और नसों की सेहत पर हमेशा के लिए बुरा असर पड़ सकता है।
कई स्टडीज में ये बात सामने आई है कि आर्सेनिक की थोड़ी सी भी मात्रा बच्चों के दिमाग को कमजोर कर सकती है।

कैंसर होने का खतरा (Rice Increase Cancer Risk)

लंबे समय तक अगर किसी के शरीर में आर्सेनिक जाता रहे, तो कैंसर (Cancer Risk) होने का खतरा बढ़ जाता है। इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) नाम की एक संस्था है, जिसने आर्सेनिक और उसमें मिले हुए कुछ चीजों को “इंसानों के लिए कैंसर पैदा करने वाला बताया है। ये केमिकल फेफड़ों का कैंसर, मूत्राशय का कैंसर और चमड़ी का कैंसर कर सकते हैं। कुछ स्टडीज़ में तो ये भी सामने आया है कि ये किडनी, लिवर और प्रोस्टेट कैंसर से भी जुड़े हो सकते हैं।
यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर और इस स्टडी की मुख्य लेखक फेलिशिया वू ने कहा, ये रिसर्च इसलिए ज़रूरी है क्योंकि ये बताती है कि जब लोग खाने-पीने की चीज़ें चुनते हैं तो उन्हें सेहत के साथ-साथ खाने की सुरक्षा का भी ध्यान रखना चाहिए। हालानकि हमने पाया कि सफेद चावल की जगह ब्राउन राइस चुनने से आमतौर पर आर्सेनिक ज्यादा मिलता है, लेकिन इसकी मात्रा इतनी ज्यादा नहीं होनी चाहिए कि लंबे समय तक सेहत खराब करे, जब तक कि कोई हर दिन सालों तक बहुत ज़्यादा ब्राउन राइस न खाए।”
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सफेद चावल में सफेद चावल की तुलना में अधिक आर्सेनिक क्यों होता है?

ब्राउन राइस में सफेद चावल से ज़्यादा आर्सेनिक इसलिए होता है क्योंकि ब्राउन राइस में बाहरी भूरी परत, जिसे चावल का छिलका (rice bran) कहते हैं, हटाई नहीं जाती। आर्सेनिक ज़्यादातर इसी परत में जमा होता है।
सफेद चावल बनाने के लिए यह छिलका निकाल दिया जाता है, जिससे आर्सेनिक की मात्रा कम हो जाती है और इस वजह से आर्सेनिक से होने वाली परेशानियों का खतरा भी कम हो जाता है।
जब रिसर्च करने वालों ने ब्राउन और सफेद चावल से मिलने वाले आर्सेनिक की तुलना की, तो उन्होंने पाया कि ब्राउन राइस में मौजूद आर्सेनिक का 48% ज्यादा खतरनाक इनऑर्गेनिक (अकार्बनिक) रूप में था, जबकि सफेद चावल में यह सिर्फ 33% था। इनऑर्गेनिक आर्सेनिक, आर्सेनिक के दो मुख्य रूपों (इनऑर्गेनिक और ऑर्गेनिक) में से ज़्यादा नुकसानदायक होता है। दोनों में उनके केमिकल बनावट और जहर के असर का फर्क होता है।
दुनिया के बाकी हिस्सों में उगाए गए ब्राउन राइस में आर्सेनिक का खतरनाक इनऑर्गेनिक वाला हिस्सा 65% तक था जबकि सफेद चावल में भी यह 53% था।

चावल की जो बाहरी परत उसे भूरा रंग देती है, उसमें आर्सेनिक की मात्रा चावल के अंदर के सफेद हिस्से (एंडोस्पर्म) से 10 गुना ज्यादा होती है।
यह भी पता चला कि छह महीने से दो साल की उम्र के छोटे बच्चे जो ब्राउन राइस खाते हैं, वे हर दिन अपने वजन के हिसाब से 0.29 से 0.59 माइक्रोग्राम प्रति किलोग्राम तक आर्सेनिक ले सकते हैं, जो कि सुरक्षित मानी गई सीमा (0.21 माइक्रोग्राम) से कहीं ज्यादा है।
रिसर्च करने वालों ने आखिर में यही कहा कि चावल का छिलका (ब्रान) और ब्राउन राइस में सफेद चावल या चावल के अंदर के हिस्से (एंडोस्पर्म) के मुकाबले आर्सेनिक और खतरनाक इनऑर्गेनिक आर्सेनिक की मात्रा ज़्यादा होती है।
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