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हुबली

चातुर्मास में रहेगा तप, संस्कार और ज्ञान का संगम, शिविर एवं विभिन्न प्रतियोगिताओं के माध्यम से युवाओं को जोडऩे का प्रयास

इस वर्ष का चातुर्मास कई आध्यात्मिक, सामाजिक और ज्ञानवर्धक गतिविधियों से परिपूर्ण रहने वाला है। कर्नाटक के हुब्बल्ली में विराजित साध्वी सूर्यप्रभाश्री एवं साध्वी पूर्णप्रभाश्री ने राजस्थान पत्रिका के साथ विशेष बातचीत में कहा कि चातुर्मास में तप, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताएं, शिविर और प्रवचन से समाज को संस्कारित करने का प्रयास होगा।

हुबलीJul 04, 2025 / 06:56 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

हुब्बल्ली में विराजित साध्वीवृन्द।

हुब्बल्ली में विराजित साध्वीवृन्द।

साध्वी ने कहा कि युवाओं और बच्चों को चातुर्मास से जोडऩे की खास पहल की जा रही है। उनके अनुसार चातुर्मास आत्मविकास, आत्मानुशासन और सामाजिक एकता का उत्सव है। इस दौरान छोटे-बड़े, युवा-बुजुर्ग सभी के लिए कुछ न कुछ सीखने और समझने को होगा। प्रस्तुत है इस विशेष बातचीत के प्रमुख अंश:
प्रश्न: इस बार चातुर्मास में क्या विशेष आयोजन होने जा रहे हैं?
साध्वी:
इस चातुर्मास में श्रुतज्ञान तप होगा, जो 28 दिनों का रहेगा। इसमें एक दिन उपवास और एक दिन बियासना रखा जाएगा। इसके साथ ही 42 दिन का सिद्धितप भी होगा। यह दोनों तप ध्यान, साधना और आत्मशुद्धि के मार्ग पर ले जाने वाले हैं।
प्रश्न: चातुर्मास के दौरान श्रावक-श्राविकाओं को धर्म से जोडऩे के लिए क्या प्रयास रहेंगे?
साध्वी:
हर रविवार को विभिन्न विषयों पर प्रतियोगिताएं आयोजित होंगी। एक विशेष प्रतियोगिता अमावस को चांद उगायो नामक ड्रामा के रूप में होगी, जो खरतरगच्छ दिवस पर होगी। इसके अलावा मौखिक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता होगी जो क्रिकेट मैच की तर्ज पर होगी। इसमें टीम, अंपायर सब होंगे। इसी तरह शालिभद्र मॉल प्रतियोगिता में प्रश्न पूछे जाएंगे।
प्रश्न: चातुर्मास के दौरान नियमित कार्यक्रम क्या रहेंगे?
साध्वी:
प्रत्येक दिन प्रवचन, पूजा और विविध आयोजन होंगे। अंगरचना, तपस्याएं और संस्कारिक गतिविधियां होंगी। रोजाना प्रवचन के दौरान दो प्रश्न और एक पहेली रखी जाएगी। साथ ही तीन लक्की ड्रॉ निकाले जाएंगे। यह ड्रॉ “पहले आओ, पहले पाओ” की तर्ज पर होंगे।
प्रश्न: पर्युषण पर्व की क्या रूपरेखा रहेगी?
साध्वी:
पर्युषण पर्व 20 से 27 अगस्त तक मनाया जाएगा। अंतिम दिन संवत्सरी महापर्व यानी क्षमापना दिवस होगा, जो आत्मशुद्धि और क्षमा की भावना का सबसे श्रेष्ठ अवसर है।
प्रश्न: जीवन की दृष्टि से कर्म और आयु के विषय में आपका क्या मत हैं?
साध्वी:
व्यक्ति के सुख-दुख का कारण उसके कर्म होते हैं। दुख भी हम स्वयं उत्पन्न करते हैं और सुख का कारण भी खुद ही होते हैं। आयु हमारे हाथ में नहीं होती, यह तो पूर्व जन्मों के कर्म और नियति पर निर्भर होती है। हर जन्म में जितनी आयु तय होती है, वही मिलती है।
प्रश्न: आज के सामाजिक परिवेश में संयुक्त परिवार की भूमिका कैसी हो सकती है?
साध्वी:
संयुक्त परिवार अधिक सुखी होता है। उसमें मर्यादाएं बनी रहती हैं। एकल परिवारों में यह संतुलन नहीं दिखता। बड़े परिवार में एक-दूसरे की सहायता और नैतिकता का माहौल मिलता है, जो आज के समय में बहुत जरूरी है।
प्रश्न: युवाओं के लिए क्या आयोजन रहेंगे?
साध्वी:
हर रविवार को युवा शिविर होंगे, जो पूरी तरह संस्कारमय होंगे। इसमें जीने की कला, संयमित जीवनशैली और जीवन मूल्यों पर विशेष चर्चा होगी। यह शिविर युवाओं को मानसिक रूप से भी सशक्त बनाएंगे।
प्रश्न: बच्चों को कैसे जोड़ा जाएगा?
साध्वी:
5 से 15 वर्ष के बच्चों के लिए नियम कार्ड दिए जाएंगे, जिसमें उन्हें संस्कारिक बातें बताई जाएंगी। इन कार्डों के जरिए बच्चों की दैनिक दिनचर्या पर ध्यान रखा जाएगा और उन्हें अच्छे संस्कारों की ओर प्रेरित किया जाएगा।

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