साध्वी: इस चातुर्मास में श्रुतज्ञान तप होगा, जो 28 दिनों का रहेगा। इसमें एक दिन उपवास और एक दिन बियासना रखा जाएगा। इसके साथ ही 42 दिन का सिद्धितप भी होगा। यह दोनों तप ध्यान, साधना और आत्मशुद्धि के मार्ग पर ले जाने वाले हैं।
साध्वी: हर रविवार को विभिन्न विषयों पर प्रतियोगिताएं आयोजित होंगी। एक विशेष प्रतियोगिता अमावस को चांद उगायो नामक ड्रामा के रूप में होगी, जो खरतरगच्छ दिवस पर होगी। इसके अलावा मौखिक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता होगी जो क्रिकेट मैच की तर्ज पर होगी। इसमें टीम, अंपायर सब होंगे। इसी तरह शालिभद्र मॉल प्रतियोगिता में प्रश्न पूछे जाएंगे।
साध्वी: प्रत्येक दिन प्रवचन, पूजा और विविध आयोजन होंगे। अंगरचना, तपस्याएं और संस्कारिक गतिविधियां होंगी। रोजाना प्रवचन के दौरान दो प्रश्न और एक पहेली रखी जाएगी। साथ ही तीन लक्की ड्रॉ निकाले जाएंगे। यह ड्रॉ “पहले आओ, पहले पाओ” की तर्ज पर होंगे।
साध्वी: पर्युषण पर्व 20 से 27 अगस्त तक मनाया जाएगा। अंतिम दिन संवत्सरी महापर्व यानी क्षमापना दिवस होगा, जो आत्मशुद्धि और क्षमा की भावना का सबसे श्रेष्ठ अवसर है।
साध्वी: व्यक्ति के सुख-दुख का कारण उसके कर्म होते हैं। दुख भी हम स्वयं उत्पन्न करते हैं और सुख का कारण भी खुद ही होते हैं। आयु हमारे हाथ में नहीं होती, यह तो पूर्व जन्मों के कर्म और नियति पर निर्भर होती है। हर जन्म में जितनी आयु तय होती है, वही मिलती है।
साध्वी: संयुक्त परिवार अधिक सुखी होता है। उसमें मर्यादाएं बनी रहती हैं। एकल परिवारों में यह संतुलन नहीं दिखता। बड़े परिवार में एक-दूसरे की सहायता और नैतिकता का माहौल मिलता है, जो आज के समय में बहुत जरूरी है।
साध्वी: हर रविवार को युवा शिविर होंगे, जो पूरी तरह संस्कारमय होंगे। इसमें जीने की कला, संयमित जीवनशैली और जीवन मूल्यों पर विशेष चर्चा होगी। यह शिविर युवाओं को मानसिक रूप से भी सशक्त बनाएंगे।
साध्वी: 5 से 15 वर्ष के बच्चों के लिए नियम कार्ड दिए जाएंगे, जिसमें उन्हें संस्कारिक बातें बताई जाएंगी। इन कार्डों के जरिए बच्चों की दैनिक दिनचर्या पर ध्यान रखा जाएगा और उन्हें अच्छे संस्कारों की ओर प्रेरित किया जाएगा।