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हुबली

तप आराधना, प्रवचन और पारिवारिक मूल्यों पर रहेगा विशेष फोकस

साध्वी मोक्षमालाश्री ने कहा कि यह चातुर्मास आत्मशुद्धि, संस्कार और आराधना का संगम सिद्ध होगा। चातुर्मास के दौरान आयोजित किए जाने वाले शिविर, तप आराधना और प्रवचन न केवल आत्मिक उन्नति देंगे, बल्कि सामाजिक कुरीतियों के प्रति चेतना भी जगाएंगे। सामाजिक जागरूकता से भरपूर विविध कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित की जाएगी। हुब्बल्ली में चातुर्मासार्थ विराजित साध्वी मोक्षमालाश्री ने राजस्थान पत्रिका के साथ विशेष बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश:

हुबलीJul 07, 2025 / 01:50 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

चातुर्मास: धर्म, संस्कार और सामाजिक चेतना का संगम

चातुर्मास: धर्म, संस्कार और सामाजिक चेतना का संगम

प्रश्न: चातुर्मास के दौरान क्या विशेष आयोजन होने जा रहे हैं?
साध्वी:
इस चातुर्मास के दौरान प्रत्येक शनिवार को महिलाओं के लिए तथा रविवार को बच्चों के लिए दोपहर में शिविर होंगे। दशहरे के दौरान गब्बूर तीर्थस्थल पर 7 दिवसीय आवासीय शिविर भी प्रस्तावित है।
प्रश्न: प्रवचनों का समाज में क्या प्रभाव देखने को मिल रहा है?
साध्वी:
प्रवचनों का सकारात्मक असर स्पष्ट दिखाई दे रहा है। कई श्रावक-श्राविकाओं ने 12 व्रत अंगीकार किए हैं। लोग प्रवचनों से प्रेरित होकर आत्म-सुधार की दिशा में अग्रसर हो रहे हैं। प्रवचन का असर जरूर होता है। श्रावक-श्राविकाएं प्रवचनों को जीवन में उतार रहे हैं।
प्रश्न: वर्तमान समय में बच्चों के संस्कार कैसे प्रभावित हो रहे हैं?
साध्वी:
मोबाइल बच्चों के जीवन में विकर्षण पैदा कर रहा है। जब तक उन्हें इससे दूर नहीं रखा जाएगा, संस्कारों का बीजारोपण कठिन होगा। बच्चों में अच्छे संस्कारों की शुरुआत गर्भकाल से होनी चाहिए। बच्चों को मोबाइल से दूर रखें तभी संस्कारों का सींचन अधिक हो सकेगा। मोबाइल बच्चों को बिगाडऩे का काम कर रहा है। परिवारों के टूटने का एक प्रमुख कारण भी मोबाइल ही बन रहा है।
प्रश्न: एकल परिवारों की बढ़ती प्रवृत्ति पर आप क्या कहेंगी?
साध्वी:
संयुक्त परिवारों में जो मान, मर्यादा और अनुशासन होते हैं, वह एकल परिवारों में संभव नहीं। दादा-दादी, नाना-नानी का साथ बच्चों को नैतिकता और व्यावहारिकता सिखाता है। मौजूदा दौर में जिस तरह से एकल परिवारों का चलन बढ़ रहा है, वैसे-वैसे मर्यादाएं भी टूट रही हैं। संयुक्त परिवारों का स्थान कोई दूसरा नहीं ले सकता है।
प्रश्न: परिवारों में बिखराव के क्या कारण मानते हैंं?
साध्वी:
आज आपसी ईष्र्या बढ़ी है, प्रेमभाव में कमी आई है। साथ ही अहंकार की प्रवृत्ति भी बढ़ रही है, जिससे रिश्तों में खटास आ रही है।
प्रश्न: स्वास्थ्य और खानपान को लेकर क्या संदेश देना चाहेंगी?
साध्वी:
रात्रि भोजन, कैमिकलयुक्त सब्जियां और फास्टफूड बीमारियों की जड़ बन गए हैं। भोजन में सादगी, सात्विकता और समय का पालन आवश्यक है। आजकल फास्टफूड का चलन अधिक हो गया है। कैमिकलयुक्त सब्जियों का सेवन होने लगा है। बाहरी खाने पर निर्भरता अधिक बढ़ गई है। रात्रि भोजन करने से एसिडिटी, गैस समेत कई बीमारियां होने लगी हैं।
प्रश्न: लव जिहाद जैसे संवेदनशील विषयों पर आपकी क्या राय है?
साध्वी:
धर्म परिवर्तन के कई मामले सामने आ रहे हैं। पिछले वर्ष मुंबई में आयोजित नाटिका में 850 से अधिक बालिकाएं शामिल हुईं, जिससे जागरूकता फैली और कई परिवारों को सतर्क होने का अवसर मिला। लव जिहाद के कई मामले इन दिनों सामने आए हैं। इस तरह के आयोजन से धर्म परिवर्तन रोकने में मदद मिली।
प्रश्न: चातुर्मास में किन धार्मिक ग्रंथों पर प्रवचन होंगे?
साध्वी:
इस वर्ष चातुर्मास में जैन रामायण, पेथडशाह चरित्र, शांत सुधारस ग्रंथों पर प्रवचन होंगे। ये प्रवचन आत्मचिंतन और साधना को गहराई देने वाले होंगे। वैसे इस बार चातुर्मास के चार महीने धर्म-आराधना से अधिक परिपूर्ण होंगे।

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