सिवाना की बहू-बेटियों की ओर से विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन लगातार किया जा रहा है। भगवान महावीर स्वामी ने जीयो और जीने दो तथा अहिंसा परमो: धर्म का संदेश दिया था। इसी संदेश को साकार करते हुए मानव सेवा के कार्य समय-समय पर किए जा रहे हैं। हमारी यही कोशिश रहती है कि जितना हो सके हम जीवदया व धर्म के कार्यों को और आगे ले जाएं। हमें कुछ समय जीव दया के लिए जरूर निकालना चाहिए। एक संतुष्टि का भाव जीवदया से ही मिल सकता है। कुछ समय हमें पशु-पक्षियों के बीच बिताना चाहिए। इनकी सेवा से शांति एवं संतुष्टि मिलती है। हमारी प्राचीन संस्कृति भी यही रही है।
इस मौके पर संचल मेहता ने भविष्य की योजनाओं के बारे में प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में दो महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने इसकी विस्तार से जानकारी दी। सुरेखा बाफना, ललिता संकलेचा, कांता छाजेड़, पदमा गुलेच्छा, अनीता रांका, मंजू ओस्तवाल समेत अन्य सभी सदस्यों ने मिल-जुलकर कार्य करने का भरोसा दिलाया। ममता कानूंगा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
समाज की 15 वर्ष से ऊपर आयु वर्ग की बालिकाओं के लिए अलग ग्रुप बनाया गया। इस ग्रुप में अब तक 20 बालिकाओं को शामिल किया गया है। भविष्य में और बालिकाओं को ग्रुप में जोड़ा जाएगा। आपसी परिचय बढ़ाने, समाज के कार्यक्रमों में बालिकाओं की सहभागिता बढ़ाने एवं धार्मिक-सामाजिक सेवा कार्य में बालिकाओं की रूचि पैदा करने को लेकर इस ग्रुप का गठन किया गया है। इस ग्रुप में जीनल कानूंगा, निधि गुलेच्छा, रीतू मांडौत, करिश्मा जैन, खुशी बागरेचा, प्रियम मूथा एवं काजोल धारीवाल समेत अन्य को शामिल किया गया है।