crowd of Maha Kumbh : महाकुंभ की भीड़ से हादसों का हाइवे बनी रीवा-नागपुर रोड, एक माह में आधा दर्जन की मौत
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drinking water crisis : ये भी जानना जरूरी
5 दशकों में जलस्रोतों की बेकद्रीनर्मदा के भरोसे आबादी
भोंगाद्वार फिल्टर प्लांट से छोड़ रहे गोबर मिला पानी
शहर में 70 तालाब, पीने लायक पानी किसी का नहीं
Horrific accident : हाइवे पर भीषण हादसा, ट्रक की टक्कर से चिपट गया ट्रैवलर, 7 लोगों मौत, दो गंभीर
drinking water crisis : सीवर प्रोजेक्ट अधूरा
जल स्रोतों में सीवेज का गंदा पानी मिलने से रोकने के लिए सीवर प्रोजेक्ट पर डेढ़ दशक से काम चल रहा है। लेकिन इस प्रोजेक्ट की गति धीमी है। अब तक महज 40 हजार के लगभग ही सीवेज कनेक्शन हो सके हैं। अभी नगर के बड़े हिस्से में अमृत 2.0 के तहत सीवर लाइन नेटवर्क तैयार किया जाना है। इसके अलावा नर्मदा में दूषित पानी मिलने से रोकने के लिए 17 करोड़ की लागत से एसटीपी प्लांट स्थापित किए गए हैं।![Water body](https://cms.patrika.com/wp-content/uploads/2025/02/image_fa482f.png?w=640)
drinking water crisis : सहेजना होगा सतही जल
जबलपुर की पहचान 52 तालाब व 84 तलैया और बावड़ियों वाले शहर के रूप में है। लेकिन पिछले 5 दशक में इन जलस्रोतों की जमकर उपेक्षा हुई। कुछ तालाबों का अस्तित्व तो मास्टर प्लान के प्रावधानों ने ही मिटा दिया। धीरे-धीरे वे सीवर टैंक में तब्दील हो गए। नगर में पुराने वार्डों से लेकर 10 साल पहले सीमा विस्तार से बने नए वार्डों को मिलाकर छोटे-बड़े 70 के लगभग तालाब हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इन तालाबों में 20 अरब लीटर के लगभग पानी भरा हुआ है।![Water body](https://cms.patrika.com/wp-content/uploads/2025/02/image_3dd32c.png)
- विनोद दुबे, भूजल विद
- डॉ. पीआर देव, वैज्ञानिक