organic farming : रसायनमुक्त कृषि की तरफ बढ़ रहा रुझान, दो हजार किसानों ने कराया है पंजीयनorganic farming : फसलों में अंधाधुंध रसायनों के प्रयोग से जहरीली हो रही खेती से किसानों का मोहभंग हो रहा है। प्राकृतिक खेती अपनाने वाले किसानों की संया और खेती का रकबा पिछले कुछ सालों से लगातार बढ़ रहा है। पहले जहां खुद के उपयोग के लिए ही खेती के कुछ हिस्से में रसायनमुक्त खेती करने वाले किसान अब पूरी खेती ही प्राकृतिक तरीके से कर रहे हैं। दरअसल कई कंपनियां जैविक उत्पादों के बेहतर दाम दे रहे हैं।
organic farming : साढ़े 6 हजार एकड़ क्षेत्रफल चिन्हित
वर्तमान में 6 हजार 500 एकड़ क्षेत्रफल अनाज के साथ ही उद्यानिकी फसलों के लिए चिन्हित किया गया है। इन जगहों पर उत्पादित फसल का इस्तेमाल खुद किसान तो कर रहें हैं, कुछ बड़ी कंपनियां इनकी खरीदी कर रही हैं। इनके दाम भी अच्छे मिल रहे हैं। इसलिए निरंतर इस पद्धति से खेती करने वाले किसानों का पंजीयन बढ़ रहा है।
वर्तमान में उत्पादकता बढ़ाने के लिए किसान निर्धारित मात्रा से अधिक उर्वरक का छिडक़ाव कर रहे हैं। इससे शरीर को तो नुकसान होता है साथ ही भूमि की उर्वरा शक्ति भी कम हो रही है। विशेषाों के अनुसार शरीर, भूमि एवं पर्यावरण को स्वस्थ्य बनाए रखने के लिए जैविक या प्राकृतिक खेती ही विकल्प है।
organic farming : रसायनों की जगह इनका उपयोग
प्राकृतिक या जैविक खेती में रसायनों की जगह देशी चीजों भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के अलावा कीटनाशक तैयार किए जाते हैं। पौधों की बढ़वार के लिए जीवामृत, धन जीवामृत एवं कीटनाशक के लिए नीमास्त्र, ब्रहास्त्र का उपयोग किया जाता है।
organic farming : जिन्होंने समझा वे अपना रहे
सिहोरा के ग्राम धमधा के कृषक जयराम केवट 10 वर्षों से स्वयं की 5 एकड़ जमीन पर प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। उनके पास पांच देसी गाय हैं जिनसे उन्हें दूध के साथ-साथ गोबर एवं गौमूत्र भी प्राप्त होता है। गायों से प्राप्त गोबर एवं गौमूत्र से किसान द्वारा जीवामृत, धन जीवामृत का निर्माण कर खेत में उपयोग किया जा रहा है। साथ ही घर पर बने गोबर गैस प्लांट से निर्मित गैस का उपयोग घर का भोजन तैयार करने में करते हैं। ग्राम मादा के किसान कैलाश यादव अपने खेत में चिया की खेती कर रहे हैं। यह भी पूरी तरह प्राकृतिक पद्धति पर है।
Hindi News / Jabalpur / organic farming मप्र के किसानों का कमाल, बढ़ा दिया 7 हजार एकड़ जैविक खेती का रकबा