बंद तिजोरी में कैद रिजल्ट
शहर के करीब 35 स्कूलों पर अवैध फीस वसूली का आरोप है, जिनसे 275 करोड़ रुपये तक वसूले गए हैं। शिक्षा समिति ने फीस वापसी के आदेश दिए थे, लेकिन न तो पैसा लौटा और न ही किसी तरह का समायोजन हुआ। उल्टा, स्कूलों ने छात्रों का रिजल्ट रोककर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। पैरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सचिन गुप्ता ने इसे गलत ठहराते हुए प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की है। छात्रों का भविष्य संकट में
एक अप्रैल से नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने वाला है, लेकिन 20,000 छात्र-छात्राओं को अभी तक उनके परीक्षा परिणाम नहीं मिले हैं। इससे उनकी आगे की पढ़ाई अधर में लटक गई है। परेशान अभिभावक स्कूलों और शिक्षा विभाग के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन प्रशासन की निष्क्रियता सवालों के घेरे में है। जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी ने कहा, “रिजल्ट रोकना अनुचित है, प्रशासन जल्द कार्रवाई करेगा।”
अब क्या होगा?
फीस वापसी का मामला विचाराधीन है, लेकिन जब तक प्रशासन कोई ठोस कदम नहीं उठाता, तब तक बच्चों का भविष्य अधर में रहेगा। सवाल यह है कि शिक्षा के इस व्यापार में आखिर कब तक छात्रों और अभिभावकों को बलि का बकरा बनाया जाएगा?