लौटा दिया था पद्मश्री सम्मान
सेठ गोविंददास के प्रपौत्र बाबू विश्वमोहन दास कहते हैं, सेठ गोविंददास को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए 1961 में पद्मभूषण सम्मान से अलंकृत किया गया। लेकिन, 1968 में अनु. 343 में संशोधन का प्रस्ताव पारित होने से हिंदी को राजभाषा बनाने का सपना अधूरा रह गया। खिन्न होकर उन्होंने सम्मान सरकार को लौटा दिया।समझने में हुई आसानी
संविधान की रचना में कई देशों के संविधान के अंश लिए गए थे, लिहाजा इसका हिंदी रूपांतरण लागू करना उस समय टेढ़ी खीर थी। संविधान का अंग्रेजी वर्जन ही मान्य था। अंतत: सेठ गोविन्ददास के प्रयासों से संविधान का हिंदी अनुवाद कराया गया। जबलपुर के ब्यौहार राजेन्द्र सिंह भी सेठ के साथ इस मसले को लेकर संघर्षरत रहे। हालांकि इस रूपांतरण को कानूनन प्रामाणिक नहीं माना जाता और कोर्ट की नजरों में संविधान का अंग्रेजी स्वरूप ही मूल व प्रामाणिक है।ये भी पढ़ें: गणतंत्र दिवस पर रहेगा रूट डायवर्जन, इन रास्तों पर जाने से बचें, सुबह 6 बजे से आवाजाही बंद