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जगदलपुर

ऐतिहासिक उपलब्धि.. बचेली-किरंदुल में 75 KM की रफ्तार से दौड़ी ट्रायल ट्रेन, पहाड़ियों को काटकर बनाया है रेलवे ट्रैक

Indian Railway: रेलवे सुरक्षा आयुक्त दक्षिण पूर्वी सर्कल बृजेश कुमार मिश्रा ने कड़े सुरक्षा मानकों के तहत इसका औपचारिक उद्घाटन किया।

जगदलपुरMar 10, 2025 / 01:04 pm

चंदू निर्मलकर

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Indian Railway: पूर्वी तटीय रेलवे के वाल्टेयर डिवीजन ने आज छत्तीसगढ़ के बचेली-किरंदुल रेलवे सेक्शन के 9.143 किलोमीटर लंबे दोहरीकरण कार्य का पूरा करने की ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। यह परियोजना न केवल लौह अयस्क के परिवहन को गति देगी, बल्कि क्षेत्रीय विकास को नई दिशा भी प्रदान करेगी। रविवार को रेलवे सुरक्षा आयुक्त दक्षिण पूर्वी सर्कल बृजेश कुमार मिश्रा ने कड़े सुरक्षा मानकों के तहत इसका औपचारिक उद्घाटन किया।

Indian Railway: परियोजना का महत्व, बैलाडीला की खदानों से जुड़ेगा देश

बचेली-किरंदुल खंड देश की सबसे बड़ी लौह अयस्क खदानों (बैलाडीला) से जुड़ा है। दोहरीकरण के बाद यहां से रोजाना 50 प्रतिशत अधिक मालगाडिय़ों के परिवहन की क्षमता बढ़ेगी। इससे स्टील प्लांट्स तक कच्चे माल की आपूर्ति तेज होगी और रेलवे की आय में भी वृद्धि होगी। बृजेश मिश्रा ने कहा कि यह परियोजना आत्मनिर्भर भारत की ओर एक स्ट्रैटेजिक कदम है। इससे छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचलों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में मदद मिलेगी।’’
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वरिष्ठ अधिकारियों की टीम ने किया कड़ा निरीक्षण

नई लाइन के कमीशनिंग से पहले रेलवे की टॉप टीम ने सुरक्षा और गुणवत्ता की जांच की। इस दल में मंडल रेल प्रबंधक ललित बोहरा, मुय अभियंता (ट्रैक) के. धनुंजय राव, मुय सिग्नल अभियंता केएस वर्मा, और डिप्टी सीआरएस आशुतोष कुमार शामिल थे। टीम ने ट्रैक की ज्यामिति, नए सिग्नल सिस्टम, पुलों की मजबूती, और स्पीड ट्रायल 75 किमी/घंटा का सफल परीक्षण किया।
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अगले चरण: 2025 तक पूरा होगा 150 किमी दोहरीकरण

पूर्वी तटीय रेलवे ने इस साल के अंत तक बचेली-किरंदुल-जगदलपुर कॉरिडोर के 150 किमी दोहरीकरण का लक्ष्य रखा है। मंडल रेल प्रबंधक ललित बोहरा ने कहा कि इससे कोरबा और रायपुर के औद्योगिक क्षेत्रों तक माल ढुलाई का समय 6 घंटे कम हो जाएगा। साथ ही, यात्री ट्रेनों की आवृत्ति भी बढ़ेगी।
यह खंड घने जंगलों और खड़ी पहाडिय़ों के बीच स्थित है, जहां निर्माण के दौरान भूस्खलन और संसाधनों की ढुलाई बड़ी चुनौती थी। मुय प्रशासनिक अधिकारी गौतम श्रीनिवास ने बताया कि हमने स्लोप स्टेबलाइजेशन के लिए सॉइल नेलिंग तकनीक का इस्तेमाल किया। साथ ही, स्थानीय श्रमिकों को प्रशिक्षित कर उन्हें रोजगार दिया गया।

प्रमुख बातें

9.143 किमी दोहरीकरण से माल ढुलाई क्षमता 50 प्रतिशत बढ़ी।

स्पीड ट्रायल में 75 किमी/घंटा की रतार से ट्रेन दौड़ाई गई।

स्थानीय स्तर पर 500 श्रमिकों को मिला रोजगार।

2025 तक 150 किमी दोहरीकरण का लक्ष्य।

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