पत्नी का निधन होने पर महेश जोशी को ED ने दी राहत, इतने दिन रहेंगे बाहर; 900 करोड़ के घोटाले में मिली थी रिमांड
Mahesh Joshi Wife Passes Away: राजस्थान के पूर्व जलदाय मंत्री डॉ महेश जोशी को उनकी पत्नी कौशल देवी जोशी के निधन के बाद कोर्ट से 4 दिन की अंतरिम जमानत मिली है।
Mahesh Joshi Wife Passes Away: राजस्थान के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व जलदाय मंत्री डॉ महेश जोशी को उनकी पत्नी कौशल देवी जोशी के निधन के बाद कोर्ट से 4 दिन की अंतरिम जमानत मिली है। कौशल देवी का सोमवार सुबह जयपुर के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया। वे लंबे समय से ब्रेन हेमरेज और किडनी की गंभीर समस्याओं से जूझ रही थीं।
दरअसल, महेश जोशी फिलहाल प्रवर्तन निदेशालय (ED) की गिरफ्त में हैं। उन्हें 24 अप्रैल 2025 को जल जीवन मिशन (JJM) घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया गया था। महेश जोशी की रिमांड अवधि सोमवार को पूरी हो रही थी और उन्हें पीएमएलए मामलों की विशेष अदालत में पेश किया गया था। सुनवाई के दौरान पत्नी के निधन की सूचना मिली जिसके बाद उनके वकीलों ने कोर्ट से अंतरिम जमानत की मांग की। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए 4 दिन की राहत दी।
बताया जा रहा है कि महेश जोशी को पहले जेल भेजा जाएगा उसके बाद प्रक्रिया पूरी कर उन्हें 4 दिन के लिए छोड़ा जाएगा, ताकि वे अंतिम संस्कार में भाग ले सकें।
पत्नी 15 दिनों से अस्पताल में भर्ती थी
बताते चलें कि कौशल देवी जोशी पिछले लगभग 15 दिनों से जयपुर के मणिपाल अस्पताल में भर्ती थी। ब्रेन हेमरेज के बाद उनकी हालत लगातार बिगड़ती गई। डॉक्टरों के मुताबिक दोनों किडनियों ने काम करना बंद कर दिया था और वह कोमा में चली गई थीं। सोमवार सुबह 10:47 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। इस समय महेश जोशी ईडी की हिरासत में थे, जिससे परिवार को गहरा आघात लगा।
जल जीवन मिशन घोटाला क्या है?
जल जीवन मिशन केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य हर घर को पाइपलाइन के माध्यम से स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना है। इसी योजना के तहत राजस्थान में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। 900 करोड़ रुपये के इस घोटाले में महेश जोशी समेत कई सरकारी अधिकारियों और ठेकेदारों पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर टेंडर हासिल करने और अनियमितताएं बरतने का आरोप है।
ईडी की जांच में पाया गया कि श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी ने 169 टेंडरों में भाग लिया और 73 टेंडरों में सफलता पाकर लगभग 120.25 करोड़ रुपये के ठेके हासिल किए। वहीं, श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी ने 68 टेंडरों में भाग लिया और 31 टेंडर जीतकर 859.2 करोड़ रुपये के अनुबंध हासिल किए।
बताया जा रहा है कि इन कंपनियों ने फर्जी अनुभव प्रमाणपत्र प्रस्तुत किए थे। आरोप है कि महेश जोशी ने जलदाय मंत्री रहते हुए इन कंपनियों को टेंडर दिलाने में मदद की थी। उनके सहयोगी तत्कालीन अधिकारी संजय बड़ाया का नाम भी एसीबी की रिपोर्ट में प्रमुखता से आया है। ईडी की रिपोर्ट के मुताबिक, जोशी का नाम जांच रिपोर्ट में 18 बार और बड़ाया का नाम 16 बार दर्ज है। दोनों के बीच सांठगांठ की आशंका भी जताई गई है।
बताया जा रहा है कि अब तक इस मामले में पीयूष जैन, पदम चंद जैन, महेश मित्तल और संजय बड़ाया जैसे नामी व्यक्तियों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
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