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जयपुर

Rajasthan News: राजस्थान में कंक्रीट के जंगल की बाढ़ ! नेता और अफसरों की शह से 700 हेक्टेयर इकोलॉजिकल क्षेत्र खत्म

Ecological Area of ​​Rajasthan: हाईकोर्ट बचाने का आदेश देता रहा, अफसर बसाते रहे कंक्रीट का जंगल, नगरीय विकास विभाग के पास रिपोर्ट, इसके बावजूद एक्शन नहीं

जयपुरFeb 21, 2025 / 08:11 am

Rakesh Mishra

Illegal construction in jaipur

प्रतीकात्मक तस्वीर

नेता-अफसरों की शह पर राजस्थान के इकोलॉजिकल क्षेत्र की 700 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर अवैध निर्माण की अमरबेल फैलती जा रही है। इसमें मुख्य रूप से जयपुर का आगरा रोड व आमेर तहसील का इलाका शामिल है। इसके अलावा उदयपुर, अजमेर में भी हिस्सा है।
गंभीर यह है कि मास्टर प्लान मामले में हाईकोर्ट इन इलाकों में पूर्ववर्ती स्थिति लाने के आदेश दे चुका है, लेकिन वहां कंक्रीट के जंगल की बाढ़ आ गई। इसमें इकोलॉजिकल, रिक्रिएशनल, हरित क्षेत्र है। इन इलाकों में निर्माण की जानकारी नगरीय विकास विभाग के पास पहुंच चुकी है। इसके बावजूद एक्शन लेने की बजाय जिम्मेदार अफसरों को बचाने में जुटे हैं।

सरकार बचाने में यों जुटी?

सरकार इकोलॉजिकल से जुड़े बिन्दु पर सुप्रीम कोर्ट से छूट मांग रही है। उनका तर्क है कि वर्ष 2006 से पहले के मास्टर प्लान में इकोलॉजिकल क्षेत्र 481 वर्ग किलोमीटर आरक्षित था, लेकिन तत्कालीन सरकार में इसमें से 80 वर्ग किलोमीटर इलाके का भू-उपयोग बदल दिया गया। ऐसे में यहां कई शैक्षणिक संस्थानों को जमीन का आवंटन कर दिया गया।
मास्टर प्लान 2025 में 681 वर्ग किलोमीटर इकोलॉजिकल हिस्सा जोड़ा गया। ऐसे में अब कुल इकोलॉजिकल क्षेत्र करीब 894 वर्ग किलोमीटर हो गया। हालांकि, पिछले मास्टर प्लानों में चिन्हित इकोलॉजिकल क्षेत्र को खत्म करने पर ही कोर्ट फटकार लगा चुका है।

बचने के लिए डमी कार्रवाई…

यदि कार्रवाई नहीं होती है तो अफसरों पर इन्हें बचाने के आरोप लगते हैं। इससे बचने के लिए अफसर कई बार डमी कार्रवाई करते हैं। यानी दीवार या अन्य निर्माण का कुछ हिस्सा तोड़ दिया जाता है। इससे न केवल सरकारी दस्तावेज में कार्रवाई अंकित हो जाती है, बल्कि संबंधित अधिकारी खुद को बचा भी लेता है।

आसानी से तय हो सकती है जिम्मेदारी

जोधपुर हाईकोर्ट ने 12 जनवरी, 2017 को विस्तृत आदेश दिया था। इसमें इकोलॉजिकल क्षेत्र को बचाने पर विशेष जोर रहा, पर निर्माण बढ़ते गए। विषय विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार चाहे तो आसानी से इसके जिम्मेदारों को चिन्हित कर एक्शन ले सकती है। सैटेलाइट इमेज के जरिए निर्माण का पता कर सकते हैं। उस दौरान जो भी अफसर नियुक्त हो, उसे चिन्हित किया जा सकता है।

जेडीए से डायवर्ट हो यूडीएच पहुंचा मामला

जयपुर में गोनेर रोड, लूनियावास स्टैंड से खोरी रोपाड़ा मुख्य रोड पर तीस बीघा भूमि पर योजना बसा दी गई। डेढ़ सौ से ज्यादा मकान, फ्लैट बन चुके हैं। इसी तरह आगरा रोड, पुरानी चुंगी के पास मार्केट बना दिया गया। इंदिरा गांधी नगर और खातीपुरा स्टेशन के पास भी योजना सृजित कर दी। दोनों जगह सिवायचक जमीन भी है। यह तो केवल बानगी है। ऐसे कई मामले हैं जो इकोलॉजिकल जोन को खत्म कर रहे हैं।

जिम्मेदार रहे फेल

  • * मुकेश कुमार शर्मा, प्रमुख सचिव
  • * पवन कुमार गोयल, अतिरिक्त मुख्य सचिव
  • * भास्करसावंत, प्रमुख सचिव
  • * कुंजीलाल मीणा, प्रमुख सचिव
  • * नवीन महाजन, सचिव
  • * सिद्धार्थ महाजन, सचिव
  • * भवानी सिंह देथा, सचिव
  • * जोगाराम, सचिव
  • * महेश चन्द्र शर्मा, सचिव
  • * कैलाशचंद मीणा, सचिव
  • * टी. रविकांत, प्रमुख सचिव
  • * राजेश यादव, प्रमुख सचिव
  • * वैभव गालरिया, प्रमुख सचिव
    (ये अधिकारी नगरीय विकास विभाग एवं स्वायत्त शासन विभाग में जनवरी 2017 से अब तक रहे। पद उसी समय का है, जब वे विभाग में नियुक्त थे)
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