बड़ा अंतर यह दिखा केंद्र की ओर से स्वच्छ सर्वेक्षण की हर वर्ष टूल किट जारी की जाती है। इसमें किस एक्टिविटी के कितने अंक हैं, ये निर्धारित होता है। इसी टूल किट के आधार पर इंदौर नगर निगम में काम शुरू हो जाता है। टूल किट के हिसाब से पूरा प्लान बनाया जाता है और उसको धरातल पर उतारने के लिए अधिकारियों की टीम बनती है। जब सफाई व्यवस्था को परखने के लिए टीम आती है तो इंदौर में हालात अन्य शहरों की तुलना में बेहतर नजर आते हैं।
इंदौर: यूं बढ़ रहा आगे -40 वर्ष पुराने कचरे के पहाड़ को खत्म किया। रासायनिक पद्धति का इस्तेमाल करते हुए विषैले तत्वों को कम किया। इस तरह का प्रयोग कर इंदौर देश का पहला गार्बेज फ्री सिटी बना।
-575 हूपर इंदौर में चल रहे हैं। ये हूपर डोर टू डोर कचरा संग्रहण करते हैं। न सिर्फ गीला-सूखा, बल्कि हानिकारक कचरे को भी अलग रखा जाता है जयपुर: हर बार तलाशते अपना नम्बर
– लांगड़ियावास, मथुरादासपुरा और सेवापुरा में कचरे के पहाड़ बनते जा रहे हैं। लांगड़ियावास में कचरे से बिजली बनाने की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। अब भी कचरे के पहाड़ खत्म करने के लिए बड़े स्तर पर काम करने की जरूरत है।
– राजधानी में करीब 600 हूपर संचालित हो रहे हैं। पिछले छह वर्ष से घर-घर कचरा संग्रहण हो रहा है। इसके बाद भी अब तक गीला-सूखा कचरा अलग नहीं हो पाया है। एक-दो वार्ड में भी यह व्यवस्था है।
आज तक अभी नहीं दिखे आगे – राजधानी में दो सांसद और 10 विधायक निगम सीमा क्षेत्र में आते हैं। विशेष आयोजन को छोड़ दें तो सफाई को लेकर कभी कोई सक्रिय नजर नहीं आते। दोनों महापौर के कार्यक्रम भी रस्म अदायगी तक सीमित हैं।
– सफाईकर्मियों के कंधों पर शहर को साफ करने की जिम्मेदारी है। लेकिन, कई सफाईकर्मी हाजिरीगाह से आकर वापस चले जाते हैं। इन पर निगम ने कभी सख्ती नहीं दिखाई। वहीं, करीब 2000 सफाईकर्मी ऐसे हैं, जो मूल काम नहीं कर रहे। ये कर्मचारी दफ्तरों में हैं। कई बार स्वायत्त शासन विभाग से लेकर शहरी सरकारों ने मूल कार्य करने के आदेश निकाले, लेकिन ये बेअसर रहे।
टॉपिक एक्सपर्ट अन्य विभागों को भी जोड़े, जनभागीदारी भी निभाएं जयपुर संसाधनों के लिहाज से इंदौर के समकक्ष ही है। लेकिन यहां पर शहरी सरकारें बेहतर तरीके से काम नहीं करवा पा रही हैं। अब तक कचरा संग्रहण ही मानकों के अनुरूप नहीं हो रहा है। इसमें न सिर्फ निकायों को बल्कि अन्य महकमों को भी साथ काम करने की जरूरत है। जनभागीदारी भी बढ़ानी होगी। इसके लिए व्यापक स्तर पर काम करने की जरूरत है।
-विवेक.एस अग्रवाल, एक्सपर्ट, ठोस कचरा प्रबंधन