scriptOpinion : संघर्ष क्षमता को कम कर रही सुविधाओं की आदत | Opinion : | Patrika News
ओपिनियन

Opinion : संघर्ष क्षमता को कम कर रही सुविधाओं की आदत

बच्चों को कोई भी चीज जब आसानी से मिलने लगती है तो उन्हें इसकी आदत पड़ जाती है। यही वजह है कि उनमें लक्ष्य के प्रति संघर्ष करने की क्षमता और सहनशीलता खत्म सी हो जाती है। शायद यही वजह कही जा सकती है कि संसाधनों के मामलों में खुद को सुरक्षित समझने वाले बच्चे […]

जयपुरFeb 07, 2025 / 10:02 pm

arun Kumar

बच्चों को कोई भी चीज जब आसानी से मिलने लगती है तो उन्हें इसकी आदत पड़ जाती है। यही वजह है कि उनमें लक्ष्य के प्रति संघर्ष करने की क्षमता और सहनशीलता खत्म सी हो जाती है। शायद यही वजह कही जा सकती है कि संसाधनों के मामलों में खुद को सुरक्षित समझने वाले बच्चे जरा सी बात पर अवसाद में आ जाते हैं। बात पढ़ाई-लिखाई, खेल या किसी परीक्षा की ही क्यों न हो, आमतौर पर सामान्य परवरिश पाने वाले बच्चे, अच्छी परवरिश पाने वाले बच्चों के मुकाबले ज्यादा बेहतर परिणाम देते हैं। नोबेल पुरस्कार विजेता एस्थर डुफलो और अभिजीत बनर्जी ने अपने शोध में कुछ ऐसे ही तथ्यों का खुलासा किया है। शोध में कहा गया है कि गलियों के बच्चे (स्ट्रीट चिल्ड्रंस) रोजमर्रा के हिसाब-किताब में स्कूली बच्चों से काफी तेज होते हैं। वहीं, महंगे स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को घरेलू हिसाब-किताब के लिए कैलकुलेटर या मोबाइल का सहारा लेना पड़ता है।
ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि अच्छे घरों के बच्चे महंगे स्कूलों में पढऩे के बावजूद व्यावहारिक गणित में कमजोर क्यों होते हैं? वे मामूली हिसाब-किताब में गणित का फार्मूला क्यों तलाशने लगते हैं। शायद इसकी वजह भी यही है कि ऐसे बच्चों को कभी बाजार से आलू-प्याज तक खरीदने का मौका नहीं मिलता। इसीलिए यह कहा जाता है कि अभिभावक अपने बच्चों को जितना सेफ मोड में रखते हैं, धीरे-धीरे यही उनकी कमजोरी बन जाती है। बात चाहे 10वीं या 12वीं के सीबीएसई रिजल्ट, आइआइटी या फिर सिविल सेवाओं की ही क्यों न हो, इनमें औसत परिवारों के बच्चे कम सुविधाओं में भी सफलता का परचम फहराते हैं। वजह सिर्फ यह है कि उनमें हिम्मत और निर्णय लेने की क्षमता ज्यादा होती है। वे अपने परिवार की आर्थिक स्थिति से वाकिफ होते हैं, इसलिए उनके पास संकल्प का कोई विकल्प नहीं होता है। वे छोटी-छोटी समस्याओं से घबराते नहीं हैं क्योंकि उन्होंने परिवार के लोगोंं को ऐसी समस्याओं से निपटते हुए कई बार देखा है। खुद भी इनसे दो-चार हुए हैं।
मुद्दे की बात यह है कि परिवार अमीर हो या गरीब, बच्चों को हर वास्तविक स्थिति से रूबरू कराना जरूरी है। अमरीका में एक अध्ययन भी इस बात को पुष्ट करते हुए कहता है कि जिन बच्चों की मां वर्किंग होती हैं वे जल्दी समझदार हो जाते हैं। भविष्य में उनकी सफलता की संभावना घरेलू मां के बच्चों की अपेक्षा 15 से 20 फीसदी अधिक होती है। इसलिए बच्चों की सफलता के लिए उन्हें सेफ मोड की बजाय सामान्य मोड पर लाने की जरूरत है। ताकि वे मेच्योर बनकर अपने भविष्य का निर्माण कर सकें।

Hindi News / Prime / Opinion / Opinion : संघर्ष क्षमता को कम कर रही सुविधाओं की आदत

ट्रेंडिंग वीडियो