बता दें कि आरोपी सनी कुमार शर्मा को इस अंतरराज्यीय साइबर अपराध गिरोह का मास्टरमाइंड माना जा रहा है, जिसने कई शहरों में इसी तरह लोगों को ठगा है। यह ठगी 23 मई को शुरू हुई, जब पीड़ित को खुद को मुंबई पुलिस अधिकारी बताने वाले व्यक्ति का फोन आया।
कॉलर ने बुजुर्ग पर मनी लॉन्ड्रिंग केस में शामिल होने का आरोप लगाया और कहा कि उनके नाम पर खरीदे गए मोबाइल नंबर से 2.80 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग हुई है। उन्हें यह भी कहा गया कि उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हो गया है।
व्हाट्सएप पर एक वीडियो कॉल करवाई
ठगी को असली दिखाने के लिए, आरोपियों ने व्हाट्सएप पर एक वीडियो कॉल करवाई, जिसमें खुद को सीबीआई अधिकारी बताने वाला रोहित कुमार गुप्ता नामक व्यक्ति और एक नकली अदालत सीन दिखाया गया। इसमें जज की वेशभूषा में व्यक्ति ने गिरफ्तारी आदेश जारी करते हुए दिखाया। डर और भ्रम में पड़े बुजुर्ग ने 26 मई को अपने बैंक खाते से 23.56 लाख रुपये आरोपियों द्वारा दिए गए खाते में ट्रांसफर कर दिए।
साइबर क्राइम एसपी ने जांच शुरू की
शिकायत मिलने के बाद साइबर क्राइम एसपी शंतनु कुमार और डिप्टी एसपी नीरज कुमार मेवानी ने जांच शुरू की। पता चला कि उसी दिन आरोपियों के बैंक खाते में विभिन्न लोगों से करीब 3 करोड़ रुपये जमा हुए थे और उन्हें तुरंत निकाल लिया गया।
झुंझुनूं का है आरोपी
पहली गिरफ्तारी 30 मई को हुई, जब पुलिस ने झुंझुनूं निवासी और फिलहाल दिल्ली में रह रहे सुरेश कुमार जाट उर्फ सुरेंद्र को पकड़ा, जो उस बैंक खाते का मुख्य धारक था। उसके तीन सहयोगी श्रीगंगानगर के ओमप्रकाश उर्फ नितेश, चूरू के वंशुल उर्फ आर्यन उर्फ प्रवीन और झुंझुनूं के भूपेश फागड़िया को सोनीपत जेल से प्रोडक्शन वारंट पर लेकर न्यायिक हिरासत में भेजा गया।
आरोपियों ने पूछताछ में क्या बताया
पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि बिहार के मुंगेर का 26 वर्षीय सनी कुमार शर्मा, जो अब बेंगलुरु में रह रहा है, इस पूरे नेटवर्क का मास्टरमाइंड है। इस सूचना के आधार पर एसआई दामोदर और कांस्टेबल मनोज, सुरेश और किशन की टीम ने बेंगलुरु से सनी कुमार को गिरफ्तार किया। पुलिस ने शुरुआती जांच में बताया कि गिरोह ने चंडीगढ़, सोनीपत, रोहिणी, पटना और बेंगलुरु जैसे शहरों में भी इसी तरह की ठगी की है।