साथ ही, उन्होंने राइजिंग राजस्थान के सफल आयोजन की भी सराहना की और कहा कि इस कार्यक्रम में निवेश से जुड़े कई महत्वपूर्ण समझौते (MoU) पढ़ने का अवसर मिला। उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 35 लाख करोड़ के MoU साइन हुए, जिसमें से 28 लाख करोड़ अकेले अक्षय ऊर्जा (सोलर एनर्जी) के थे।
एमएलए रविन्द्र सिंह भाटी ने सवाल उठाया कि जब पश्चिमी राजस्थान इतनी बिजली पैदा कर रहा है, तो क्या हमारे किसानों को पर्याप्त बिजली मिल रही है? उन्होंने सरकार से स्पष्ट जवाब मांगा कि जब बिजली नेशनल ग्रिड के जरिए आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और अन्य राज्यों को भेजी जा रही है, तो राजस्थान के किसानों को पूरी बिजली क्यों नहीं मिल रही?
किसानों की ज़मीन कंपनियों के हवाले
भाटी ने विधानसभा में जोर देकर कहा कि पहले किसानों के लिए ओरण और गोचर भूमि सुरक्षित थी, लेकिन अब सरकार ने इसे मल्टीनेशनल कंपनियों के हवाले कर दिया है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी राजस्थान के किसानों को उम्मीद थी कि विकास के नाम पर यहां मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स लगेंगी, युवाओं को रोजगार मिलेगा, लेकिन सरकार ने सिर्फ़ हवा-हवाई सपने दिखाए। उन्होंने रिफाइनरी परियोजना की याद दिलाते हुए कहा कि तब भी पश्चिमी राजस्थान को ‘दुबई’ बनने का सपना दिखाया गया था, लेकिन हकीकत में कुछ नहीं बदला। अब फिर से सौर ऊर्जा परियोजनाओं के नाम पर वैसा ही झूठ परोसा जा रहा है। भाटी ने खुलासा किया कि सौर ऊर्जा प्लांट से केवल दो गार्ड की नौकरियां मिलती हैं और अब तो सोलर प्लेट्स की सफाई का काम भी रोबोट कर रहे हैं, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलने की संभावना खत्म हो गई है।
वन्य संपदा और पशुधन की अनदेखी
भाटी ने विधानसभा में तेजाजी, पाबूजी, जंभेश्वर भगवान और हड़बूजी की पर्यावरण रक्षा में भूमिका की याद दिलाई और कहा कि सरकार एक ओर ‘एक पेड़ माँ के नाम’ जैसी पहल कर रही है, लेकिन दूसरी ओर हजारों खेजड़ियां काटी जा रही हैं। लंपी वायरस के दौरान गौ माता बचाने के प्रयासों को याद करते हुए उन्होंने पूछा कि जब ओरण और गोचर भूमि खत्म हो जाएगी, तो पशुधन कहाँ जाएगा?
उन्होंने आरोप लगाया कि बइया गांव में ओरण भूमि के अवैध अलॉटमेंट किए जा रहे हैं, और जब उन्होंने इस अन्याय के खिलाफ़ आवाज़ उठाई, तो सरकार ने मुकदमे दर्ज कर दिए।
सरकार को चुनौती- युवाओं को आरक्षण दो
विधायक रविन्द्र सिंह भाटी ने सरकार को सीधी चुनौती देते हुए कहा कि अगर सरकार वाकई किसानों और युवाओं के हितों की रक्षा करना चाहती है, तो प्राइवेट सेक्टर में अनस्किल्ड और सेमी-स्किल्ड नौकरियों में 70% आरक्षण दे और सौर ऊर्जा व अन्य परियोजनाओं में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता दे। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि सरकार ऐसा कोई बिल नहीं ला पाएगी, क्योंकि उसके इरादे ही सही नहीं हैं। साथ ही, उन्होंने वेस्टर्न राजस्थान में विंड एनर्जी के टर्बाइनों से होने वाले दुष्प्रभावों का मुद्दा उठाया और कहा कि इन टर्बाइनों के 500 मीटर के दायरे में रहने वाले लोग बहरे हो सकते हैं और आने वाली पीढ़ियाँ सुनने की क्षमता के बिना जन्म लेंगी।
विधायकों से एकजुट होने की अपील
अंत में, भाटी ने पश्चिमी राजस्थान के सभी विधायकों से आह्वान किया कि वे समय रहते अपनी आवाज़ बुलंद करें और किसानों, युवाओं व पर्यावरण से जुड़े इस गंभीर मुद्दे पर सरकार से जवाब मांगें। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि सरकार ने इन समस्याओं का समाधान नहीं किया, तो यह क्षेत्र विकास के बजाय और अधिक विनाश की ओर बढ़ेगा।