सांसद बेनीवाल ने कहा कि बढ़ती लागत और उचित समर्थन मूल्य न मिलने के कारण किसान पहले से ही संकट में हैं, लेकिन इस बजट में भी उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि देश के कुल कृषि बजट की तुलना में किसानों पर 20 गुना ज्यादा कर्ज है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार कृषि क्षेत्र को किस नजरिये से देख रही है। उन्होंने सरकार द्वारा कर्ज माफी योजना बनाने से इनकार करने पर भी नाराजगी जताई और ऋण पुनर्गठन पर गारंटी कानून बनाने की मांग की।
हनुमान बेनीवाल ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए इस वर्ष के बजट में किए गए सबसे कम आवंटन पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ती घटनाओं के कारण किसानों को अधिक सुरक्षा की आवश्यकता है, लेकिन सरकार ने खड़ी फसलों को इस योजना से बाहर कर दिया है। उन्होंने इसे सरकार के किसानों की आय दोगुनी करने के वादे के समान एक जुमला करार दिया।
बेनीवाल ने लोकसभा में सरकार से मांग की कि पीएम फसल बीमा योजना में खड़ी फसलों को भी शामिल किया जाए। इसके अलावा, उन्होंने राजस्थान के परिप्रेक्ष्य में कृषि-आदान अनुदान की सीमा को 2 हेक्टेयर से बढ़ाकर 5 हेक्टेयर तक करने की अपील की। साथ ही, उन्होंने सूखा विकास कार्यक्रम के तहत आने वाले जिलों में पांच हेक्टेयर भू-धारिता वाले किसानों को भी लघु और सीमांत किसानों की श्रेणी में शामिल करने की मांग की।