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Opinion : बेहतर ट्रैक प्रबंधन से ही थम सकेंगे रेल हादसे

रेलवे सुरक्षा उपायों के चलते पिछले एक दशक के दौरान रेल हादसों में भले ही सत्तर फीसदी की कमी आई हो लेकिन मानवीय भूल या तकनीकी खामियों की वजह से कभी-कभी होने वाली दुर्घटनाओं से लगता है कि भारतीय रेलवे में सुरक्षा मानकों की अनदेखी पर पूरी तरह से काबू नहीं पाया जा सका है। […]

जयपुरFeb 11, 2025 / 09:53 pm

Anil Kailay

Indian Railway

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रेलवे सुरक्षा उपायों के चलते पिछले एक दशक के दौरान रेल हादसों में भले ही सत्तर फीसदी की कमी आई हो लेकिन मानवीय भूल या तकनीकी खामियों की वजह से कभी-कभी होने वाली दुर्घटनाओं से लगता है कि भारतीय रेलवे में सुरक्षा मानकों की अनदेखी पर पूरी तरह से काबू नहीं पाया जा सका है। हाल ही मध्य प्रदेश के खंडवा रेल खण्ड पर एक डबल डेकर मालगाड़ी 147 किलोमीटर तक गलत ट्रैक पर दौड़ती रही। गनीमत रही कि ओवरहेड इलेक्ट्रिक (ओएचई) लाइन से टकरा कर मालगाड़ी रुक गई और कोई बड़ा हादसा टल गया। मालगाड़ी के गलत ट्रैक पर जाने के कई कारण हो सकते हैं। सिग्नल सिस्टम में गड़बड़ी होती है या गलत सिग्नल दिया जाता है, तो ट्रेन गलत ट्रैक पर जा सकती है।
दो साल पहले ओडिशा के बालासोर ट्रेन दुर्घटना में भी यह संदेह जताया गया था कि सिग्नल इंटरलॉकिंग सिस्टम में गड़बड़ी के कारण ट्रेन गलत ट्रैक पर चली गई। रेलवे ट्रैकों को बदलने के लिए पॉइंट्स और स्विच का उपयोग किया जाता है। यदि ये ठीक से काम नहीं करते या गलत तरीके से सेट होते हैं, तो ट्रेन गलत ट्रैक पर जा सकती है। कभी-कभी मैनुअल या इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में गड़बड़ी के कारण ट्रेन को गलत रूट मिल सकता है। कभी-कभी रेलवे कर्मचारी जल्दबाजी या लापरवाही के कारण सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन नहीं करते, जिससे गलत ट्रैक पर ट्रेन जाने की आशंका बढ़ जाती है।
इस घटना में भी हादसे के कारण का खुलासा तो जांच में होगा लेकिन यह घटना रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा करने वाली है। खंडवा की रेल दुर्घटना सिग्नलिंग और ट्रैक प्रबंधन प्रणाली की गंभीर खामियों को उजागर करती है। यह घटना इसलिए भी चिंता बढ़ाने वाली है कि इसमें मानवीय चूक भी खूब हुई। डबल डेकर मालगाड़ी 18 स्टेशनों से गुजरी, लेकिन रेलकर्मियों का ध्यान इस ओर गया ही नहीं और हरी झंडी दिखाकर आगे जाने का सिग्नल देते रहे। अच्छी बात यह रही कि मालगाड़ी की छत ओवरहैड इक्विपमेंट से चिपकने से बिजली आपूर्ति बंद हो गई और ट्रेन रुक गई, नहीं तो बड़ा हादसा भी हो सकता था।
इस तरह की घटनाएं रेलवे यात्री और माल परिवहन की सुरक्षा के लिए एक चेतावनी भी है। रेलवे को और अत्याधुनिक इंटरलॉकिंग और सिग्नलिंग तकनीक अपनानी चाहिए। स्वचालित ट्रेन नियंत्रण प्रणाली को भी अपनाया जा सकता है। जीपीएस आधारित ट्रैकिंग सिस्टम को मजबूत करना चाहिए ताकि किसी भी गड़बड़ी का तुरंत पता लगाया जा सके। रेलवे ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम को और अधिक प्रभावी बनाने की जरूरत है।

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