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कौन से गहने पहनें, यह कार्य क्षेत्र पर निर्भर
कोठारी ने कहा, गहने कार्य क्षेत्र पर निर्भर हैं। जैसे घरों में रहने वाली महिलाएं सोने के गहने पहनती हैं। वहीं धूप में कार्य करने वाली महिलाएं पांव में चांदी के आभूषण पहनती हैं। यदि वे पांव में सोने के गहने पहनेंगी, तो गहना गर्मी बढ़ाएगा। इससे रक्तस्राव बढ़ने का खतरा होगा। गहनों का काम निरोग रखना, रोग को दूर करना और आत्म चेतना का विकास करना है। कौनसा गहना कितने वजन का होगा, इसका भी महत्व है। कोठारी ने कहा, हमारा शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है। ब्रह्मांड के सातों लोक, सूर्य किरणों के सातों रंग, शरीर की सात धातुएं आदि आपस में अपना प्रभाव छोड़ती रहती हैं। इनका सामंजस्य बना रहना ही जीवन का संतुलन है। पृथ्वी पर जो कुछ है उसका आधार सूर्य और उसके ग्रह हैं। जब भी कोई ग्रह कुपित होता है, अर्थात कर्म, खानपान और नकारात्मक चिंतन के कारण बीमारियां होती है। तब शरीर की धातु को उसके स्वामी ग्रह के संदर्भ में देखा जाता है।
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गहन शोध के बाद दी जानकारी
राजस्थान पत्रिका की निदेशक दीप्ति कोठारी ने कहा, पुस्तक में गहनों के बारे में गहन शोध के बाद जानकारी दी गई है। इसलिए इसके पढ़ने से पता चलता है कि ये केवल सजावट के लिए ही उपयोगी नहीं है, बल्कि शरीर को स्वस्थ रखने की दृष्टि से भी इनका बड़ा महत्व है। यहां तक कि पशुओं को भी गहने पहनाने की परंपरा रही है। पुस्तक में यह जानकारी मिलती है कि स्वस्थ जीवन का आधार गहने हैं।
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गहनों में छिपे हैं जीवन के बड़े रहस्य
वरिष्ठ पत्रकार सुकुमार वर्मा ने कहा, पुस्तक में गहनों के बारे में वैज्ञानिक और वैदिक दृष्टिकोण से जानकारी दी गई है। गहनों के महत्व पर शोध के बाद उपलब्ध कराई गई जानकारी से पता चलता है कि गहनों में जीवन के बड़े रहस्य छिपे हुए हैं। पुरुषों के भी कई तरह के आभूषण उपलब्ध हैं। पुस्तक में ऐसे आभूषणों के बारे में भी उल्लेख हैं, जिनके बारे में नई पीढ़ी को जानकारी नहीं है। ऐसे में यह पुस्तक नई पीढ़ी को गहनों का महत्व को समझने लिए बहुत उपयोगी है। परिचर्चा की मॉडरेटर श्वेता तिवारी ने कहा, आधुनिक नारी गहनों से दूरी बना रही है। ऐसे समय में इस पुस्तक की उपयोगिता और ज्यादा हो जाती है।