पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने एक्स प्लेटफॉर्म पर पोस्ट कर लिखा कि ‘राजस्थान सरकार भी उत्तर प्रदेश सरकार की तर्ज़ पर संविधान के अनुच्छेद 345 के तहत स्थानीय भाषा को अधिकारिक भाषा की मान्यता देने पर विचार करे’।
राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में करे शामिल- गहलोत
उन्होंने कहा कि ‘आज अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर राजस्थान के विभिन्न जिलों में बोली जाने वाली बोलियों सहित राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को दोहराते हैं। अगस्त, 2003 में हमारी सरकार ने राजस्थान विधानसभा से प्रस्ताव पारित कर केन्द्र सरकार को भेजा था’। केंद्र पर दबाव बनाया जाए- MLA भायल
भाजपा विधायक हमीर सिंह भायल ने राजस्थानी भाषा को अधिकारिक भाषा की मान्यता देने को लेकर विधानसभा में कहा था कि अब तक 8वीं अनुसूची में 22 भाषाएं शामिल हो चुकी हैं, जबकि राजस्थानी भाषा 17 अनुसूचित भाषाओं से भी बड़ी और समृद्ध है। कॉलेज और यूनिवर्सिटी में यह भाषा पढ़ाई जाती है फिर भी इसे मान्यता नहीं दी जा रही है।
विधायक भायल ने राज्य सरकार से अपील करते हुए कहा था कि राजस्थानी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र पर दबाव बनाया जाए। उन्होंने कहा कि अगर सरकार गंभीर होती तो यह मुद्दा अब तक सुलझ चुका होता।