जयपुर एयरपोर्ट का टर्मिनल 2… आम को नहीं, खास को आ रहा रास, जानें खूबसूरती बनी आफत
विकास और सौंदर्यन के नाम पर एयरपोर्ट प्रबंधन ने टर्मिनल 2 पर ऐसी व्यवस्थाएं कर रखी हैं जिससे वीवीआइपी को तो राहत मिल रही है, लेकिन आमजन खुले आसमान के नीचे बारिश और धूप में संघर्ष करते दिख रहे हैं। उन्हें व्हीलचेयर, छाया और पानी जैसी सुविधा भी नहीं मिल रही।
जयपुर. जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लोगों की परेशानी का कोई अंत नहीं है। विकास और सौंदर्यन के नाम पर एयरपोर्ट प्रबंधन ने टर्मिनल 2 पर ऐसी व्यवस्थाएं कर रखी हैं जिससे वीवीआइपी को तो राहत मिल रही है, लेकिन आमजन खुले आसमान के नीचे बारिश और धूप में संघर्ष करते दिख रहे हैं। उन्हें व्हीलचेयर, छाया और पानी जैसी सुविधा भी नहीं मिल रही। लोग सामान के साथ पोर्च तक 300 मीटर तक पैदल आ-जा रहे हैं। इसमें बुजुर्ग व बीमारों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है।
इन दिनों टर्मिनल दो के विस्तार का काम चल रहा है। पोर्च में ग्रीनरी और खूबसूरती बढ़ाने का काम जारी है। इस कारण एयरपोर्ट प्रबंधन ने मनमानी करते हुए पोर्च में आम यात्रियों के वाहनों के प्रवेश को रोक दिया है। केवल वीवीआइपी के वाहनों को ही एंट्री मिल रही है। आम यात्रियों के वाहनों की एंट्री बंद करके पोर्च के सामने दूसरी लाइन को पिक एंड ड्रॉप के तौर पर तैयार किया है। वहां न तो शेड है और न ही व्हीलचेयर जैसी सुविधाएं हैं। व्हीलचेयर केवल एंट्री गेट के पास मिलती है जो बीमार यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बन जाती है।
दूर बना दिए स्टैंड
एयरपोर्ट पर टैक्सी स्टैंड को भी पोर्च से दूर शिफ्ट कर दिया गया है। वहां तक सामान के साथ पहुंचने में यात्रियों के पसीने छूट जाते हैं। बस स्टैंड का काम लगभग पूरा हो चुका है, जिसे मुख्य गेट के पास बनाया गया है, पर वहां से भी यात्रियों को आवाजाही में कठिनाई होगी।
सुविधाएं उपलब्ध करवाएं
मुंबई से आए यात्री अंकित ने बताया कि बारिश में आमजन के वाहनों को भी पोर्च में एंट्री दें। नए पिक एंड ड्रॉप लेन पर भी शेड लगाएं। दिल्ली से जयपुर पहुंचे उत्तम ने कहा कि एयरपोर्ट प्रबंधन यहां पर खामियां दूर करें, सुविधाएं उपलब्ध करवाएं।
गेट तक पैदल पहुंच रहे लोग
उधर पिंक एंड ड्रॉप व्यवस्था में 10 मिनट की सीमा तय की गई है, जिसके बाद जुर्माना वसूली का प्रावधान है। इसके डर से अब वाहन चालक एयरपोर्ट परिसर में प्रवेश करने से बच रहे हैं। यात्रियों को मजबूरन 300 मीटर पैदल दूरी तय करनी पड़ रही है। बारिश में गेट के आसपास पानी भर जाता है। वहां भी कई बार हादसे हो जाते हैं।
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