ये वे लोग थे जो खुद को जंगल, जानवरों और प्रकृति की सेवा में लगाए हुए थे। जीवों के लिए लड़ने वाले आज खुद जिंदगी की जंग हार गए। जिस गाड़ी में बैठकर वे किसी नेक काम के लिए जा रहे थे, वही उन्हें काल की गोद में ले गई। रात होते ही जब एंबुलेंस के सायरन अस्पताल के दरवाजे पर गूंजी, तो उनके अपने बदहवासी में दौड़े। किसी की मां बेटे का चेहरा देखते ही बेहोश हो गई, किसी की पत्नी चीत्कार कर उठी—अब किसके लिए जिऊंगी?
घटनास्थल पर बिखरा था मौत का मंजर
लाठी गांव के पास रात करीब सवा दस बजे जब एसयूवी और ट्रक में भीषण भिड़ंत हुई, तो पूरा इलाका दहल उठा। टक्कर इतनी जोरदार थी कि एसयूवी कार के परखच्चे उड़ गए। वाहन का अगला हिस्सा पूरी तरह पिचक गया और चारों युवक उसमें फंस गए। हादसे के कुछ ही देर बाद स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे। वहां का दृश्य किसी भयावह सपने से कम नहीं था। चारों ओर खून बिखरा था, गाड़ी में फंसे शरीर जीवन की अंतिम अवस्था में थे। कोई नहीं बोल रहा था, सिर्फ गूढ़ खामोशी थी जो सबकुछ कह रही थी। कुछ ग्रामीणों ने मोबाइल की रोशनी में शवों को देखने की कोशिश की। कोई पहचानने की कोशिश कर रहा था, उन्हें बाहर निकालने की मशक्कत। पुलिस और एंबुलेंस के आने तक पूरे इलाके में मातमी सन्नाटा छा गया।