दूसरी कोई व्यवस्था नहीं होने से मजबूरी में जवान परिवारों के साथ जर्जर क्वार्टर में ही रहने को मजबूर हैं। यह समस्या कई बार वरिष्ठ अधिकारियों को भी बताई गई, लेकिन अब तक समाधान नहीं हुआ। थाने में प्रभारी सहित 21 पुलिसकर्मी हैं। कुछ कर्मियों ने जिला मुख्यालय पर किराए का मकान ले रखा है। वहीं कुछ जवान ऐसे भी हैं, जो रोज आसपास कहीं दूर अपने गांव से ड्यूटी पर आते हैं।
हालांकि पुलिस जवान के लिए पुलिस लाइन के पास क्वार्टर बनाया गया। जिसमें कुछ पुलिसकर्मी परिवार सहित रहते हैं। लेकिन अजाक थाना के पास क्वार्टर को कंडम घोषित कर देना चाहिए, सभी पुलिसकर्मियों के परिवार को वहीं रहने की अनुमति दी जानी चाहिए। लेकिन जिमेदार को कोई सरोकार नहीं है। इस जर्जर भवन में सब कुछ जुगाड़ में चल रहा है। यहां बोर लगा हुआ है, उसमें जीआई तार फैला हुआ था। शुक्रवार की सुबह बर्खास्त पुलिस हेमंत विजय स्नान किया। इसके बाद कपड़ा सुखा रहा था, इसी दौरान करंट की चपेट में आया। परिजन तत्काल जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
बरसात के समय बचने तक के उपाय नहीं
जर्जर आवास की छत को बचाने के लिए पुलिसकर्मियों ने बांस-बल्ली तो लगा लिए, लेकिन छप्पर से घुसकर
बारिश का पानी कमरों में टपकने लगता है। इससे बचने के लिए उनके पास कोई उपाय नहीं है। बरसात के चार माह पुलिसकर्मी नरकीय जीवन जीने मजबूर हैं। इसके बावजूद जिमेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं। शायद उसको बड़ा हादसे का इंतजार है। हालांकि पुलिस लाइन में निलयम कालोनी में कई मकान खाली पड़े हैं। लेकिन कई पुलिसकर्मी यहां रहना नहीं चाहते।
मैं जल्द की पुराने क्वार्टर का निरीक्षण करूंगा। इसके बाद शासन को पत्र लिखकर जल्द से जल्द समस्या का समाधान किया जाएगा। – विवेक शुक्ला, एसपी