scriptInternational Tea day: जशपुर के पहाड़ी कोरवा बनेंगे चाय बागानों के मालिक, टूरिज्म को भी मिल रहा बढ़ावा | Pahari Korwas of Jashpur will become owners of tea gardens | Patrika News
जशपुर

International Tea day: जशपुर के पहाड़ी कोरवा बनेंगे चाय बागानों के मालिक, टूरिज्म को भी मिल रहा बढ़ावा

international Tea day: चाय की पत्तियों की खुशबू पूरी दुनिया में फैल रही है। जिसे खूब पसंद भी किया जा रहा है। यहां सीटीसी और ग्रीन टी दोनों प्रकार के चाय तैयार की जा रही है।

जशपुरMay 21, 2025 / 09:11 am

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international Tea day: जशपुर के पहाड़ी कोरवा बनेंगे चाय बागानों के मालिक, टूरिज्म को भी मिल रहा बढ़ावा
international Tea day: जब भी चाय की बात होती है तो असम और दार्जिलिंग का नाम सबसे पहले आता है लेकिन अब जशपुर में भी चाय की खेती होने लगी है, इसके साथ ही टी टूरिज्म को बढ़ावा भी मिल रहा है।
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जिला मुख्यालय से 9 किलोमीटर की दूर सोगड़ा आश्रम में ट्रस्ट के द्वारा निजी तौर पर विकसित किए गए चाय के बागान और 3 किमी दूर सारूडीह में जिला प्रशासन द्वारा विकसित चाय के बागान की सफलता ने आदिवासियों के नए द्वार खोल दिए हैं। जिले के बगीचा विकासखंड के ग्राम छिछली एवं मनोरा विकासखंड के ग्राम सारूडीह में चाय की खेती क्षेत्र विस्तार के तहत 95.50 एकड़ भूमि में करीब साढ़े तीन लाख चाय के पौधे लहलहा रहे हैं। अब राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र पहाड़ी कोरवाओं को भी इस योजना से जोड़ने की तैयारी की जा रही है।
ग्रीन टी की जा रही है तैयार

यहां उगाई गई चाय की पत्तियों की खुशबू पूरी दुनिया में फैल रही है। जिसे खूब पसंद भी किया जा रहा है। यहां सीटीसी और ग्रीन टी दोनों प्रकार के चाय तैयार की जा रही है। इसके लिए एक शासकीय और एक निजी चाय प्रोसेसिंग प्लांट बाछापर और सोगड़ा में लगाए गए हैं। आदिवासियों को चाय बागान का मालिक बनते देख हर वर्ग के किसान चाय की खेती की ओर आकर्षित हुए हैं। अब पहाड़ी कोरवाओं की हक की जमीन पर चाय की खेती करने और उन्हें चाय बागानों का मालिक बनाने की योजना पर काम शुरू कर दिया है।
प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना

प्रशासन की योजना है कि आने वाले समय में करीब 500 एकड़ में वृहद स्तर पर कार्ययोजना तैयार की जाएगी। इसमें पौध रोपण, प्रोसेसिंग यूनिट, पैकिंग, मार्केटिंग जैसे बिजनेस आइडियाज पर काम किया जाएगा। योजना यह भी है कि जशपुर जिले को वन डिस्टि्क्ट वन फोकस के तहत चाय पर आधारित उद्योग के तहत पहचान मिले।
चाय के बागान बने नए पर्यटन डेस्टिनेशन

जिला मुख्यालय से तीन किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ी और जंगलों के बीच स्थित सारूडीह चाय बागान वन विभाग के मार्गदर्शन में महिला समूह द्वारा संचालित किया जा रहा है। सारूडीह के साथ ही सोगड़ा आश्रम में भी चाय की खेती के कारण जशपुर जिले को एक नई पहचान और पर्यटकों को घूमने का एक नया स्थान मिला है, जो तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं।

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