क्या हुआ था 25 साल पहले
मामले की शुरुआत उस समय हुई जब गांव के अनिरुद्ध सिंह ने पुलिस को दी गई शिकायत में बताया था कि उसका भाई देवेंद्र सिंह चार दिन पहले इटौरी बाजार गया था, जहां सोनिकपुर निवासी अजय कुमार सिंह ने उसे जान से मारने की धमकी दी थी। इस विवाद को सुलझाने के लिए पंचायत बुलाई गई थी, लेकिन इसकी जानकारी मिलते ही विजय सिंह विद्यार्थी और उनके भाई अजय सिंह नाराज हो गए। तीन अक्टूबर 2000 की शाम, जब जनार्दन सिंह भतीजे के साथ बाजार की तरफ से लौट रहे थे तभी दो बाइकों पर सवार अजय कुमार सिंह, विजय सिंह विद्यार्थी और प्रमोद कुमार सिंह ने उन पर हमला कर दिया और जनार्दन सिंह को गोली मार दी, जिससे उसकी मौत हो गई।
अजय सिंह को पहले ही मिल चुकी है सजा
घटना के बाद पुलिस ने जांच कर तीनों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। मुकदमे के दौरान विजय सिंह विद्यार्थी और प्रमोद सिंह फरार हो गए थे, जिसके चलते उनकी फाइल को अलग कर दिया गया था और अजय सिंह के खिलाफ सुनवाई पूरी कर उसे 2011 में उम्रकैद की सजा दी गई थी। सालों बाद विजय और प्रमोद अदालत में पेश हुए जिसके बाद फिर से मामले की सुनवाई शुरू हुई। विजय और प्रमोद को भी उम्रकैद और जुर्माना
मंगलवार को जिला न्यायालय ने उपलब्ध गवाहों और सबूतों के आधार पर दोनों आरोपियों को दोषी पाया और जनार्दन सिंह की हत्या के लिए उन्हें उम्रकैद की सजा के साथ-साथ जुर्माना भी ठोका।