अभियान के अंतर्गत जिले के सभी बाल श्रम संभावित क्षेत्रों, जैसे कारखानों, होटलों, ढाबों, उद्योगों, दुकानों, खान, ईंट भट्टों, निर्माण स्थलों आदि में विशेष रूप से कार्रवाई की जाएगी। जिला बाल संरक्षण इकाई एवं बाल अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक अरविन्द ओला ने बताया कि इस अभियान में पुलिस, शिक्षा, स्वास्थ्य, श्रम, महिला एवं बाल कल्याण, स्थानीय प्रशासन और गैर सरकारी संगठनों का सहयोग लिया जाएगा। इस अभियान के तहत, बाल श्रम में संलिप्त बच्चों की पहचान की जाएगी और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जाएगा, ताकि वे किसी भी प्रकार के शारीरिक, मानसिक और शोषण से मुक्त हो सकें। रेस्क्यू किए गए बच्चों का पुनर्वास सुनिश्चित करने के लिए उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और अन्य आवश्यक संसाधन प्रदान किए जाएंगे। बच्चों का शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक पुनर्वास भी किया जाएगा, ताकि वे समाज में वापस आकर एक सामान्य और खुशहाल जीवन जी सकें।
परिवार से भी मिलाएंगे
इस अभियान में विशेष ध्यान दिया जाएगा कि बाल श्रमिकों को उनके परिवारों से मिलाया जाए। यदि बच्चों के परिवार का पता नहीं चलता या वे असुरक्षित होते हैं, तो उन्हें बाल देखरेख संस्था में रखा जाएगा। इस दौरान बच्चों की शिक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और समाज में पुनः एकीकृत करने के लिए काउंसलिंग भी प्रदान की जाएगी।