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जोधपुर

राजस्थान के इस जिले के 50 से अधिक गांवों की जमीन हो रही बंजर

बालोतरा। राजस्थान के नवगठित बालोतरा जिले को एक गंभीर पर्यावरणीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। जोधपुर संभाग की औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला रसायनयुक्त अपशिष्ट जल जोजरी और लूणी नदियों के रास्ते बालोतरा क्षेत्र में पहुंच रहा है। इसका दुष्परिणाम यह है कि जिले के दर्जनों गांवों की खेती योग्य भूमि बंजर होती […]

जोधपुरApr 21, 2025 / 09:37 pm

जय कुमार भाटी

बालोतरा। जिले के डोली अराबा क्षेत्र के खेतों और जमीन में भरा प्रदूषित पानी।

बालोतरा। राजस्थान के नवगठित बालोतरा जिले को एक गंभीर पर्यावरणीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। जोधपुर संभाग की औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला रसायनयुक्त अपशिष्ट जल जोजरी और लूणी नदियों के रास्ते बालोतरा क्षेत्र में पहुंच रहा है। इसका दुष्परिणाम यह है कि जिले के दर्जनों गांवों की खेती योग्य भूमि बंजर होती जा रही है और ग्रामीणों, पशु-पक्षियों और वन्यजीवों का जीवन दूभर हो गया है। ग्रामीणों के अनुसार प्रशासन से कई बार गुहार लगाने के बावजूद कार्रवाई केवल कागजों तक सीमित रही है।
दुर्गंध से पता चलती जिले की सीमादुर्गंध से पता चलती जिले की सीमा

जोजरी नदी की हालत इतनी खराब है कि जोधपुर से बालोतरा की ओर जाते समय धवा गांव के पास से ही तीव्र दुर्गंध आने लगती है, जिससे बालोतरा जिले की सीमा आने का अंदाजा हो जाता है। नदी में बहता काला, मटमैला और तेजाब युक्त पानी न केवल जमीन को जहरीला बना रहा है, बल्कि इंसानों, पशु-पक्षियों और वन्यजीवों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर खतरा बन चुका है। जहरीला पानी जोधपुर से लेकर बालोतरा के धवा, मेलबा, राजेश्वर नगर, डोली, अराबा, दूदावता, कल्याणपुर सहित करीब पचास से अधिक गांव-ढाणियों को प्रभावित कर रहा है।
डेढ़ हजार फैक्ट्रियां छोड़ रही जहर

पर्यावरण कार्यकर्ता श्रवण पटेल ने बताया कि जोजरी और लूणी नदी में जोधपुर, पाली और बालोतरा के औद्योगिक इलाकों की लगभग 1500 से अधिक फैक्ट्रियों का रासायनिक अपशिष्ट छोड़ा जाता है। इसमें स्टील और टेक्सटाइल उद्योगों का केमिकल युक्त पानी प्रमुख है। जोधपुर में करीब 350 वैध फैक्ट्रियां चल रही हैं, लेकिन इतने ही संख्या में अवैध इकाइयां भी बिना किसी ट्रीटमेंट के जहरीला पानी सीधे नदी में बहा रही हैं। वहीं बालोतरा की लगभग 700 फैक्ट्रियों का अपशिष्ट लूणी नदी में मिलने से इसका अस्तित्व संकट में है। 83 किलोमीटर क्षेत्र में बहने वाली यह नदी अब प्रदूषित पानी का तालाब बन चुकी है।
एक्सपर्ट कमेंट्स

शोध में पाया गया कि फैब्रिक इंडस्ट्रीज में कई तरह की डाइ पाई गई है। स्टील इंडस्ट्रीज से कॉपर, क्रोमियम और बैटरी से कैडमियम की मात्रा तय लिमिट से कहीं ज्यादा पाई गई है। कैडमियम और क्रोमियम की मात्रा का अधिक होना हानिकारक हैं और फैक्ट्रियों से इन्हें अवैध तरीके से छोड़ना घातक है।
प्रोफेसर संगीता लुंकड, डीन साइंस फैकल्टी, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय
फैक्ट फाइल

1500 से अधिक फैक्ट्रियों का अपशिष्ट जल
50 से अधिक गांव-ढाणियां प्रभावित
16 लाख से अधिक जनसंख्या संकट में
15 वर्षों से जारी प्रदूषित पानी की समस्या

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