नगर निगम के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अभी भी आइएचएसडीपी योजना के 500 से अधिक मकान आवंटन के लिए शेष हैं। 450 नए लोगों ने मकान के लिए आवेदन किया है, लेकिन 250 आवेदक ऐसे हैं जो पहले से ही यहां पर कुछ अधिकारी-कर्मचारियों की सह पर कब्जा जमाए बैठे हैं। नगर निगम का यह भी दावा है कि 25 से अधिक लोगों के कब्जे अबतक खाली कराए जा चुके हैं।
यह बनी थी योजना
आपको बता दें कि नगर निगम द्वारा 18 साल पहले 2007 में 2921 लाख रुपए से इंटीग्रेटेड हाउसिंग एंड स्लम डेवलपमेंट प्रोग्राम (आएचएसडीपी) योजना शुरू की गई थी। दो साल के अंदर पहले फेज में एक हजार 119 गरीबों को आवास मुहैया कराना था, लेकिन अबतक नगर निगम 2025 में भी न तो आवासों को पूर्ण करा पाई और ना ही पात्र हितग्राहियों को आवंटित कर पाई। हैरानी की बात तो यह है कि नगर निगम व स्थानीय बाहुबलियों द्वारा कई मकान किराये पर उठा दिए गए हैं। पूर्व में मामला संज्ञान में भी आ चुका है, लेकिन नगर निगम ने कोई कार्रवाई नहीं की।
- प्रेमनगर अयोध्या बस्ती एनकेजे
- डाइट भवन के पास एनकेजे
- सरला नगर पहरुआ मंडी के आगे
- इंद्रानगर पहरुआ मंडी के आगे
- पडऱवारा माधवनगर
- अमकुही कटाये घाट के आगे
- दो लाख रुपये में एक हितग्राही को देना था पक्का मकान, 72 हजार रुपए शासन की ग्रांट है, शेष राशि हितग्राही को देनी थी।
- ठेकेदार गुणवत्ता विहीन निर्माण, समयावधि में निर्माण नहीं किए, इस पर नगर निगम ने कोई कार्रवाई कही।
- ठेकेदार एके बिल्डर्स को सिर्फ किया ब्लैक लिस्टेड, पूर्व की एमआइसी ने सिर्फ समयावधि बढ़ाने का किया काम।
- पडऱवारा में अधिकांश कब्जाधारी रह रहे हैं, इंद्रानगर सरलानर में बर्तन करोबारी कब्जा जमाए हुए हैं।
- 965 हितग्राही ऐसे थे कि तीन बार नोटिस देने के बाद भी नहीं लिया आवंटन, एक हजार से अधिक आवास लेने से कर चुके हैं इन्कार।
- एके बिल्डर्स, चारों बस्ती
- धनरास कंस्ट्रक्शन सरलानगर
- प्रगति इंडिया कंस्ट्रक्शन पडऱवारा
- आरआर कंस्ट्रक्शन
- एसएन कंस्ट्रक्शन चार जगह
- सुरेंद्र तिवारी अमकुही
- मनीष उपाध्याय राधेकृष्ण कंस्ट्रक्शन
- आशीष जार पे्रमनगर
ये मकान बनने के कुछ साल बाद ही खंडहर में तब्दील हो गए हैं। कई जगह दीवारों में दरारें हैं तो प्लास्टर टूट गया है। खिडक़ी-दरवाजों का अता-पता नहीं है। कई जगह आसामाजिक तत्वों का डेरा है तो कई जगह पर कब्जाधारियों का साम्राज्य। पूरी तरह से परिसर असुरक्षित हैं। हैरानी की बात तो यह है कि सरलानगर, इंद्रानगर आदि में कब्जा करके रहने वाले कई लोग बाहर के हैं, जो सांठगांठ कर यहां के दस्तावेज बनवाते हुए स्थाई निवास बन बैठे हैं। वोट बैंक की राजनीति के चलते शहर के जनप्रतिनिधि चुप्पी साधे हैं तो वहीं अधिकारी भी दबाव में कार्रवाई नहीं कर रहे।
171 लोगों द्वारा आइएचएसडीपी योजना के मकानों को लेने के लिए आवदेन किया है। 137 पात्र पाए गए हैं। उनके आवंटन की प्रक्रिया चल रही है। शेष आवेदनों की जांच कराई जाएगी। यदि किसी का कब्जा है तो इसपर टीम बनाकर जांच कराते हुए कार्रवाई की जाएगी।
नीलेश दुबे, आयुक्त नगर निगम।