राजस्थान की सबसे बड़ी नमक नगरी नावांशहर के मध्य करीब 100 वर्ष पहले जाल के पास परकोटे पर विराजे हुए मिले कोट के वीर हनुमान, जो आज देशभर में जाल के बालाजी के नाम से पहचाने जाते हैं। क्षेत्र के धर्मप्रेमियों का कहना है कि सैकड़ों वर्ष पहले मन्दिर स्थापित हुआ, जो आज आस्था का केंद्र बन गया है।
इलाके के 90 वर्षीय मेघाराम माली ने कहा कि उनके मित्र स्व. नागूलाल गुरिया परकोटे पर विराजे हुए बालाजी के दर्शन करके आए तो कहा कि मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाना चाहिए। तो मैंने सामग्री उपलब्ध कराई तथा मित्र गुरिया ने कारीगरों के साथ मिलकर मन्दिर में निर्माण कार्य की शुरुआत की। अब भामाशाहों के सहयोग से विशाल मंदिर का रूप ले चुका है। मकराना से करीब 57 साल पहले बालाजी की मूर्ति सिर पर रखकर लाई गई और पं. महेश्वर गुजराती द्वारा मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ सपन्न हुई।
रोट चढाने से पूरी होती है मनोकामना
आज हर नवरात्रा में 5 दिवसीय मेला महोत्सव का आयोजन होता है तथा रामनवमी को शोभायात्रा राम-लक्ष्मण व जानकी विराजमान कर नगर में निकाली जाती है। यहां रोट के बालाजी भी है, जिनकी भी नियमित पूजा-अर्चना होती है, जो जाल के पास में ही है। भक्तजनों व धर्मप्रेमियों का मानना है कि रोट चढ़ाने से मनोकामना पूरी होती है। भामाशाहों के सहयोग से यहां गुबंज (शिखर) में बालाजी विराजमान है, जो कांच की जड़ाई से काफी सुंदर नजर आते हैं। वेदी और उसके सामने की दीवार पर जड़ाई का कार्य नारायण माली की पुण्य स्मृति में उनके परिवार वालों ने करवाया है। पुजारी पूर्णानन्द गुजराती ने बताया करीब 100 वर्ष पहले से स्थापित बालाजी आज भी यहां की आस्था है।
यह वीडियो भी देखें पुजारी पूर्णानन्द गुजराती, समिति के अनुसार 51वें वार्षिक मेला महोत्सव को लेकर तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा चुका है। इसके साथ ही 5 दिवसीय आयोजन के तहत सुंदरकांड, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ ही 5 अप्रेल को भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा। जिसमें मुय भजन प्रवाहक संत गोविन्ददास महाराज (दादूदयाल आश्रम) बिचून होंगे। रामनवमी पर सुबह सवा आठ बजे हवन, श्रीराम जन्मोत्सव आरती तथा प्रसाद वितरण होगा। वहीं शाम को शोभायात्रा का आयोजन किया जाएगा।
25 साल लगातार हुई धार्मिक कथाएं
जाल के बालाजी मंदिर परिसर में कमेटी के सदस्यों द्वारा निरंतर धार्मिक आयोजन को लेकर प्रतिवर्ष 25 तक धार्मिक कथाएं आयोजित की गई। जिसमें भागवत कथा, राम कथा, शिव पुराण तथा नानी बाई का मायरा शामिल है। समिति सदस्य किस्तूरमल सैनी ने कहा कि समस्त कथाओं में देशभर से हरिद्वार, वृंदावन, ऋषिकेश सहित क्षेत्रों से चर्चित पंडितों तथा ज्योतिषाचार्यों की मुखवाणी से क्षेत्रवासी प्रफुलित हुए हैं।