लाइफस्टाइल से जुड़ी गलतियां इस संक्रमण के खतरे को काफी हद तक बढ़ा सकती हैं। UTI होने पर व्यक्ति को पेशाब करने में परेशानी होती है, जैसे – जलन, दर्द, बार-बार पेशाब आने की समस्या आदि। आइए जानें, किन छोटी-छोटी गलतियों के कारण यह समस्या होती है।
जानिए किन गलतियों के कारण होते हैं ये इंफेक्शन
पानी कम पीना
शरीर में पानी की कमी होने पर पेशाब कम आता है। इससे बैक्टीरिया को पनपने का मौका मिल जाता है। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से बार-बार पेशाब आता है, जिससे संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया बाहर निकल जाते हैं।
पेशाब को देर तक रोकना
बहुत से लोग आलस या व्यस्तता के चलते लंबे समय तक पेशाब को रोक कर रखते हैं। इससे बैक्टीरिया यूरिनरी ट्रैक्ट में जमा हो जाते हैं, जो UTI का कारण बनते हैं। हमेशा समय पर पेशाब करना चाहिए। इसे भी पढ़ें-
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टॉयलेट के बाद अपने प्राइवेट पार्ट्स की सफाई न करना, बैक्टीरिया को योनि (vagina) और मूत्रमार्ग (urethra) में प्रवेश करने का मौका देता है। खासकर महिलाओं को इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
टाइट कपड़े पहनना
बहुत टाइट अंडरवियर या जींस पहनने से पसीना बाहर नहीं निकल पाता, जिससे बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। इसलिए सिंथेटिक कपड़ों की जगह कॉटन अंडरवियर का इस्तेमाल करना बेहतर होता है।
पीरियड्स के दौरान लापरवाही
पीरियड्स के दौरान सफाई का ध्यान न रखना संक्रमण का बड़ा कारण बन सकता है। सैनिटरी नैपकिन या टैम्पॉन को समय पर न बदलना, या बार-बार साफ न करना UTI का खतरा बढ़ाता है। समय-समय पर पैड बदलें और प्राइवेट पार्ट की अच्छे से सफाई करें।
सेक्सुअल हाइजीन का ध्यान न रखना
सेक्सुअल रिलेशनशिप बनाने के बाद भी संक्रमण का खतरा रहता है। इसलिए संबंध बनाते समय प्रोटेक्शन का इस्तेमाल करें और बाद में पेशाब जरूर जाए ताकि बैक्टीरिया बाहर निकल सकें।
अनहेल्दी लाइफस्टाइल
अनियमित दिनचर्या, नींद की कमी, तनाव और खराब खानपान से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। इससे शरीर बैक्टीरिया से लड़ नहीं पाता और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। ब्लड शुगर का हाई होना
डायबिटीज या हाई ब्लड शुगर वाले लोगों को UTI का खतरा अधिक होता है क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और मूत्र में शुगर की मात्रा अधिक होने के कारण बैक्टीरिया तेजी से बढ़ते हैं।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।