सेतु बंधासन (Bridge Pose)
पीठ दर्द के लिए फायदेमंद – यह आसन मांसपेशियों को मजबूत करता है जो बैक पेन जैसी समस्याओं से छुटकारा दिलाने में लाभदायक है। थायरॉइड ग्लैंड में सुधार करता है – यह आसन पेट, फेफड़े और थायराइड को लाभ पहुंचाता है और उनसे जुड़ी बीमारियों का जोखिम कम करता है।
सेतु बंधासन कैसे करें( How to do Setu Bandhasana)
-कमर के बल लेटकर दोनों पैरों को मोड़ लें, पैरों में थोड़ा-सा अंतर रखें। -हाथों को जंघाओं के पास जमीन पर रख लें। -सांस भरकर, सांस निकालें और पेट को अंदर की ओर दबाएं और ठुड्डी को छाती से लगाएं। -सिर और कंधे को जमीन पर रखते हुए पैरों पर भार डालकर कमर को ऊपर उठा लें। -धीरे-धीरे सांस को अंदर बाहर छोड़ें। इसे भी पढ़ें-
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चक्रासन (Full-Wheel Pose)
इम्युनिटी को बढ़ाता है – चक्रासन को करने से शरीर की इम्युनिटी मजबूत होती है, साथ ही यह आसन मेटाबॉलिज्म को भी मजबूत करता है। पाचन को मजबूत करता है – पाचन संबंधी समस्याओं को हल करने और भूख को बढ़ाने में सहायक है। ब्लड फ्लो सही करता है – चक्रासन ब्लड फ्लो को भी आसान बनाता है, साथ ही चेहरे की चमक को भी बढ़ाता है। रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है – रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाए रखने में सहायक है।
चक्रासन कैसे करें (How to do Chakrasana)
-सबसे पहले पीठ के बल लेटकर घुटनों को मोड़े और एड़ी को Hips के पास लाएं। -हाथों को अपने कानों के पास रखें और हथेलियों को फर्श से लगाएं। -इस स्थिति में आपका सिर पीछे की तरफ होगा। -इसके बाद हथेलियों और पैरों की मदद से शरीर को ऊपर उठाएं।
धनुरासन (Bow Pose)
पाचन को मजबूत करता है – धनुरासन पाचन शक्ति को मजबूत करने और कब्ज और गैस जैसी समस्याओं को हल करता है। फैट को कम करना – यह योगासन पेट और जांघ के आस-पास की जगह से फैट (चर्बी) को कम करता है। फेफड़ों में सुधार – यह आसन छाती को चौड़ा करने और सांस की समस्या को हल करने में लाभदायक होता है। साथ ही अस्थमा और ब्रोंकाइटिस (फेफड़ों में सूजन) जैसी बीमारियों में राहत देता है।
धनुरासन कैसे करें (How to do Bow Pose)
-सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं और हाथों को पैरों के पास रखें। -अब घुटनों को मोड़े और इसे पकड़कर रखें। -सांस लेते हुए सीने को उठाते हुए हाथों से पैरों को खींचें। -अपना ध्यान सांसों पर केंद्रित करें। -15-20 सेकंड तक इसी पोजीशन में रहें। डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।