scriptUP Farmer crisis : बदलता मौसम बना किसानों का दुश्मन: गेहूं की फसल पर मंडराया खतरा, चिंता में डूबे अन्नदाता | UP Farmer crisis : Changing Weather Turns Villain for Farmers: Wheat Crop at Risk, Sleepless Nights for Growers | Patrika News
लखनऊ

UP Farmer crisis : बदलता मौसम बना किसानों का दुश्मन: गेहूं की फसल पर मंडराया खतरा, चिंता में डूबे अन्नदाता

Lucknow farmer: तीन दिन पहले की बारिश और रविवार की तेज आंधी-बौछारों ने कटी पड़ी फसल को फिर से किया बर्बाद, किसानों की नींद उड़ गई, फसल सड़ने का खतरा मंडराया। आइये जानते हैं क्या बोले किसान…

लखनऊApr 14, 2025 / 12:20 pm

Ritesh Singh

weather damage Farmers crisis

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UP Farmer Crisis News: उत्तर प्रदेश के लखनऊ जिले के नगराम और आसपास के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों किसान मौसम की मार से बेहद परेशान हैं। मार्च-अप्रैल का महीना किसानों के लिए हर साल एक उम्मीद लेकर आता है, गेहूं की फसल की कटाई और मंडाई का समय। लेकिन इस बार मौसम ने अपना ऐसा रुख बदला है कि खेतों में पसरा सुनहरा सपना अब सड़ने की कगार पर है। तीन दिन पहले आई तेज आंधी और बेमौसम बारिश ने किसानों को पहले ही बड़ा झटका दिया था। खेतों में कटी पड़ी गेहूं की फसल भीग गई थी और कटाई का काम ठप हो गया था। किसान जैसे-तैसे फसल को सूखने का मौका देने का इंतजार कर ही रहे थे कि रविवार की शाम एक बार फिर तेज आंधी और बारिश ने उनकी उम्मीदों को तहस-नहस कर दिया। खेतों में रखी फसल एक बार फिर गीली हो गई, और कई जगहों पर हवा के झोंकों से बिखर भी गई।
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हर रोज बदल रहा मौसम, बढ़ रही चिंता

किसानों के लिए यह दौर बेहद कठिन होता जा रहा है। नगराम क्षेत्र के किसान अब आसमान की ओर ताक रहे हैं, न तो लगातार धूप दिख रही है, न मौसम स्थिर हो रहा है। हर दिन बदलता मौसम, किसानों के दिल में डर भर रहा है कि कहीं एक और बारिश सब कुछ बर्बाद न कर दे। नगराम क्षेत्र के करोरा, समेसी, हरदोईया, बहरौली, अमवा मुर्तजापुर, गढ़ा, अब्बास नगर, असलम नगर, नबीनगर, हुसेनाबाद, छतौनी जैसे सैकड़ों गांवों के खेतों में कटी पड़ी फसल बिखरी पड़ी है। किसान दिन-रात खेतों की निगरानी कर रहे हैं, लेकिन मजबूरी ये है कि वे प्रकृति के आगे बेबस हैं।
Lucknow farmer

“रातभर नींद नहीं आती, खेतों में पड़ी फसल का ख्याल सताता है”

समेसी गांव के किसान रामधनी यादव कहते हैं, “बारिश से पहले गेहूं काटकर खेत में रख दिया था। सोचा था दो-चार दिन में धूप लगेगी तो दाने सूख जाएंगे, लेकिन अब तो दोबारा बारिश हो गई। अगर एक और बरसात हुई तो फसल सड़ जाएगी। पूरी साल की मेहनत बर्बाद हो जाएगी।” ऐसी ही कहानी असलम नगर के किसान शिवप्रसाद की है। वे बताते हैं, “हर दिन मौसम बदल रहा है। मोबाइल में मौसम देखने से कुछ नहीं होता, आसमान ही धोखा दे रहा है। कई बीघा फसल खेत में पड़ी है, और हर शाम आंधी-पानी का डर लगा रहता है।”
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प्राकृतिक आपदा से आर्थिक आपदा

खेती-किसानी पर निर्भर इन गांवों में ज्यादातर किसानों की साल भर की आमदनी गेहूं की फसल से ही होती है। बेमौसम बारिश और आंधी ने उन्हें ना केवल मानसिक रूप से परेशान कर दिया है बल्कि आर्थिक रूप से भी एक गहरे संकट की ओर धकेल दिया है। खेती के जानकारों का कहना है कि अगर बारिश और नमी लगातार बनी रही, तो फसल में फफूंद लगने की संभावना है, जिससे दाने काले पड़ सकते हैं और बाज़ार में उनकी कीमत गिर जाएगी। किसानों को दोहरा नुकसान झेलना पड़ेगा, उत्पादन कम और दाम भी कम।
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प्रशासन से सहायता की मांग

कई किसानों ने स्थानीय प्रशासन से मांग की है कि क्षेत्र में विशेष राहत दल भेजे जाएं और खेतों में नुकसान का आकलन कर किसानों को मुआवजा दिया जाए। अगर अभी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो कई किसान कर्ज के बोझ तले दब सकते हैं।
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कृषि विशेषज्ञों की सलाह

Lucknow farmer
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विशेषज्ञों की मानें तो आने वाले दिनों में मौसम फिर से अस्थिर बना रहेगा। किसानों को सलाह दी गई है कि वे फसल को जल्द से जल्द सुखाने की व्यवस्था करें और मंडाई में देर न करें। यदि संभव हो तो फसल को तिरपाल से ढककर रखें और खेतों में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।

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