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सात घंटे रखा रहा शव, बारिश नहीं थमी तो त्रिपाल लगाकर किया अंतिम संस्कार

विधानसभा अध्यक्ष के क्षेत्र में अंबाह विकासखंड के ऐसाह पंचायत का मामला, अंतिम संस्कार की तस्वीरें इंसानियत को शर्मसार करने वाली, ग्रामीण क्षेत्र के मुक्तिधामों की स्थिति खराब, टूटे पड़े शेड, चबूतरों पर उग आए पेड़

मुरैनाJul 02, 2025 / 10:07 pm

Ashok Sharma

मुरैना. सरकार की तमाम योजनाओं का धरातल पर कुछ अलग ही नजारा देखने को मिलता है। हर साल लगभग सभी पंचायतों में लाखों रुपया विकास के नाम पर खर्च किया जा रहा है, लेकिन आज भी कई गांव ऐसे हैं, जहां मृतकों के लिए अंतिम संस्कार के लिए मुक्तिधाम तक नही हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया हैं जहां पूर्व केंद्रीय मंत्री व विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर की विधानसभा क्षेत्र के ऐसाह पंचायत के पीतांबर का पुरा गांव का, जहां शमशान नहीं होने पर ग्रामीणों ने प्लास्टिक को त्रिपाल बनाकर उसी के नीचे अंतिम संस्कार किया। बारिश के चलते लकडिय़ां भीगने पर पेट्रोल और अन्य ज्वलनशील पदार्थ डाल कर चिता को जलाना पड़ा। अंतिम संस्कार की ये तस्वीरें इंसानियत को शर्मसार करने वाली हैं। विकासखण्ड अंबाह के अन्य गांवों में बने श्मशान घाट में मूलभूत सुविधाओं तक का अभाव है जिस जगह पर अंतिम संस्कार होता है। वहां शेड तक की व्यवस्था नहीं की गई है, जिसकी वजह से बारिश के दौरान लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

टीन के पल्लड और त्रिपाल से ढककर शव का किया अंतिम संस्कार

गांव में शांतिधाम नहीं होने की स्थिति में परिजन दुकान से त्रिपाल खरीदकर लाए और टीन के पल्लड़ और त्रिपाल से ढककर निजी खेत में शव का अंतिम संस्कार किया। जब चिता से आग की लपटे उठी तो त्रिपाल भी जल गई। बड़ी मुश्किल से परिजनों ने शव का अंतिम संस्कार किया। लोगों ने बरसते पानी और ओलावृष्टि के बीच चारों ओर से तिरपाल खींचकर अंतिम संस्कार किया।

बारिश के चलते सात घंटे बाद हो सका अंतिम संस्कार

ऐसाह पंचायत के पीतांबर का पुरा गांव के ही रहने वाले कंचन सिंह बघेल उम्र 60 वर्ष की मृत्यु रविवार की सुबह 10 बजे हो गई थी। उसी समय बारिश शुरू हो गई। परजिनों ने बारिश रुकने का इंतजार किया, लेकिन दिनभर रुक- रुक कर बारिश होती रही। मजबूरन परिवार के लोग अंतिम संस्कार के लिए कंचन के शव को अपने निजी खेत में ले गए, जहां बारिश के चलते अस्थायी प से त्रिपाल लगाकर शाम 05 बजे अंतिम संस्कार करना पड़ा। अंतिम संस्कार करने के लिए इन्हें लकडिय़ों की सहायता से त्रिपाल लगानी पड़ी। इस अव्यवस्था को लेकर गांव वालों में अधिकारी और जनप्रतिनिधियों के खिलाफ रोष है। गांव वालों का कहना है कि सरकार और जनप्रतिनिधि और अधिकारी सभी विकास कार्यों के दावे करते हैं बड़ी-बड़ी हवाई बातें करते हैं, लेकिन जब श्मशान घाट जैसी जगह पर ही मूलभूत सुविधाएं ना मिल पाए तो इससे ज्यादा शर्मनाक और क्या हो सकता है।

मुक्तिधाम की जगह पर दबंगों का कब्जा


ग्रामीण धर्मेंद्र तोमर ने बताया कि पीतांबरा का पुरा गांव में शांतिधाम स्वीकृत हैं, लेकिन शांतिधाम की 02 बीघा 17 विश्वा जगह पर गांव के ही कुछ दबंग कब्जा किए हुए हैं। साथ ही शांतिधाम बनाने के लिए जो राशि आई उसे पंचायत के जिम्मेदार निकाल चुके हैं, लेकिन काम नहीं कराया।

ज्यादातर गांवों में मुक्तिधाम को लेकर ऐसी ही समस्या

गांवों में अधिकांश स्थानों पर मुक्तिधाम व्यवस्थित नहीं हैं। जबकि सरकार का पूरा जोर व्यवस्थित मुक्तिधाम तैयार करवाने का है। कुछ दिन पहले अंबाह जनपद के चांदपुर गांव और बडफड़़ा गांव में भी ऐसे ही मामले सामने आए थे। लेकिन इसके बावजूद मुक्तिधाम व्यवस्थित नहीं हो पा रहे हैं। अंबाह जनपद में दो दर्जन मुक्तिधाम ऐसे हैं जिनका मुक्तिधाम तक पहुंचने का रास्ता भी बारिश में बेहद दुर्गम हो जाता है।

मुक्तिधामों ने बाउंड्री वॉल नहीं, अस्थियां सुरक्षित नहीं

ग्रामीण क्षेत्र के अधिकतर मुक्तिधामों में बाउंड्रीवॉल नहीं होने से सभी तरह के जानवर आसानी से यहां विचरण करते रहते हैं। चिंता की बात तो यह है कि अंतिम संस्कार के बाद कुत्ते राख में से हड्डियां तक ले जाते हैं। इस तरह यहां अस्थियां सुरक्षित नहींं है। ग्रामीण क्षेत्रों में मुक्तिधामों में सबसे बड़ी समस्या जानवर हैं। जिन्हें रोकने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं।

गांवों के मुक्तिधामों की स्थिति खराब, टूटे पड़़े शेड, चबूतरों पर उग आए पेड़

अंबाह विकासखंड क्षेत्र मे कई गांवों में मुक्तिधामों की स्थिति बदतर होने के कारण शवों के दाहसंस्कार के दौरान ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। मुक्तिधाम पर टूटे पड़ेे शेड और चबूतरों पर पेड़ उग आने से शवों के दाहसंस्कार के लिए जगह तक नहीं बची है। इसके कारण ग्रामीण मजबूरन अपने खेत या अन्य खुले स्थान पर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरा करते हैं।
पीतांबर का पुरा गांव में मुक्तिधाम नहीं है तो गंभीर बात है, मैं इसकी जानकारी लेता हूं। साथ ही अन्य मुक्तिधामों में भी टूटी बाउंड्रीवॉल सही कराकर बिजली, पानी, रास्ते की व्यवस्था के लिए भी स्टीमेट तैयार करवाते है।

देवेंद्र जैन, प्रभारी सीईओ, जनपद अंबाह

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