अब शिक्षा विभाग ने एनजीओ को सौंपा सडक़ सुरक्षा का जिम्मा, नियमों की उड़ रही धज्जियां
सरकारी व निजी विद्यालयों में संचालित वाहनों के सुचारू संचालन को लेकर विभाग के साथ मिलकर जगाएंगे जागरुकता, नागौर जिले में बिना परमिट दौड़ रही बाल वाहिनियां, न फिटनेस, न सुरक्षा, बच्चों की जान जोखिम में डालकर कर रहे परिवहन, विभाग भी नहीं दे रहे ध्यान, नियमों की हो रही खुली अवहेलना
नागौर.पद्रेश के सभी राजकीय एवं गैर राजकीय स्कूलों में संचालित विद्यालयी वाहनों के सुचारू संचालन तथा सभी संबंधितों को सडक़ सुरक्षा के नियमों की जानकारी देने के साथ उन्हें जागरूक करने का काम सरकार ने एक एनजीओ को सौंपा है। इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा बीकानेर के निदेशक सीताराम जाट ने 5 जुलाई को स्कूल शिक्षा के सभी संयुक्त निदेशकों को निर्देश जारी कर कहा है कि अपने क्षेत्राधिकार के परिवहन, विकास प्राधिकरण एवं स्थानीय निकायों से संबंधित कार्यालयों के अधिकारियों से सम्पर्क एवं समन्वय स्थापित कर इस दिशा में काम करना है। निदेशक जाट ने बताया कि इस संबंध में गत 26 मई को शासन सचिवालय जयपुर में शिक्षा विभाग के शासन उप सचिव ने बैठक लेकर निर्देश दिए थे, जिनकी पालना सुनिश्चित करवानी है।
नियमों की हो रही खुली अवहेलना गौरतलब है कि नागौर जिले में स्कूली बच्चों को स्कूल लाने व वापस घर ले जाने में प्रयुक्त हो रहे ज्यादातर वाहन बाल वाहिनी के नियमों की दूर-दूर तक पालना नहीं करते। जिला परिवहन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में कई ऐसे वाहन हैं, जो बिना बाल वाहिनी का परमिट लिए ही बच्चों का परिवहन कर रहे हैं, जबकि 100 से अधिक ऐसे वाहन हैं, जिनके पास फिटनेस सर्टिफिकेट भी नहीं है। 45 के करीब ऐसे वाहन हैं, जिनकी आरसी एक्सपायर हो चुकी है। इसके बावजूद जिम्मेदारों की अनदेखी व उदासीनता के चलते धड़ल्ले से सडक़ों पर रोड़ रही है।
छोटे से लालच में बच्चों की जान से खिलवाड़ शहर सहित जिले में स्कूली बच्चों के साथ कॉलेज स्तर के विद्यार्थियों का परिवहन करने वाली बाल वाहिनियों में बालवाहिनी नियम 2017 की खुली धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। ज्यादातर वाहन ऐसे हैं, जिनका न तो फिटनेस है और न ही उनके पास बाल वाहिनी का परमिट, इसके बावजूद स्कूली विद्यार्थियों का परिवहन किया जा रहा है। सरकार ने बाल वाहिनी के कई नियम बनाए हैं, लेकिन वाहन चालकों के साथ स्कूल संचालक भी लापरवाह बने हुए हैं। इन वाहनों में बच्चों को जानवरों की तरह ठूंस-ठूंस कर भरते हैं और सुरक्षा के कोई उपाय नहीं किए जाते। टेम्पो में तो बच्चों को ड्राइवर सीट पर बैठाकर उनकी जान जोखिम में डाली जा रही है। वहीं चालक वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात कर रहे हैं, उनके पास न तो वर्दी है और न ही पूरा अनुभव।
बच्चों की जान जोखिम में डालकर कर रहे परिवहनये हैं बालवाहिनी के नियम – विशेषज्ञों के अनुसर बाल वाहिनी नियम 2017 के अनुसार, बालवाहिनी वाहनों में बच्चों की सुरक्षा के लिए डोर लॉक की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
– यदि चालक को लाल बत्ती का उल्लंघन, तेज गति, खतरनाक तरीके से वाहन चलाना, नशे में वाहन चलाना या वाहन चलाते समय मोबाइल का प्रयोग करने के लिए चालान जारी किया गया है, तो उसे ऐसे वाहन को चलाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
– इसके साथ प्रति 2 वर्ष में बाल वाहिनी के ड्राइवर को एक दिन का सडक़ सुरक्षा एवं जीवन दायिनी प्रशिक्षण तथा नेत्र स्वास्थ्य जांच कराना अनिवार्य है अन्यथा मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 192 के तहत 10 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान है।
– वाहन पर पीला रंग हो तथा स्कूल का नाम, मोबाइल नम्बर सहित बच्चों को चढ़ाने व उतारने के लिए एक केयर टेकर होना चाहिए। कार्रवाई कर रहे हैं जिले में बिना परमिट व बिना फिटनेस संचालित होने वाली बाल वाहिनियों के खिलाफ विभाग की ओर से लगातार कार्रवाई की जा रही है। जून माह में हमने 92 चालान काटकर 13.70 लाख रुपए का जुर्माना लगाया। बाल वाहिनी नियमों की पालना नहीं करने वालों के खिलाफ यह कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी।
– अवधेश चौधरी, जिला परिवहन अधिकारी, नागौर
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