पहलगाम हमले से पहले खुफिया एजेंसियों ने जताई थी अटैक की आशंका! हमले से पहले 22 अप्रेल को रोका था तलाशी अभियान…
Pahalgam Attack: अधिकारियों के अनुसार पहलगाम में दो स्थानीय आतंकवादी पर्यटकों के साथ घुलमिल गए थे। इसके बाद जब आतंकियों ने पर्यटकों पर गोलीबारी शुरू हुई तो उन्हें एक फूड कोर्ट में ले जाया।
Pahalgam Attack: जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले से कुछ दिन पहले ही खुफिया एजेंसियों ने पर्यटकों को निशाना बनाए जाने की आशंका जताई थी। एजेंसियों ने चेतावनी दी थी कि आतंकी पर्यटकों को निशाना बना सकते हैं, खासकर श्रीनगर के ज़बरवन पर्वत के पास होटलों में ठहरे पर्यटकों को। इसके चलते इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी गई थी।
वहीं इन सूचनाओं के आधार पर दो सप्ताह तक तलाशी अभियान चलाया गया था और 22 अप्रेल को ही अभियान बंद हुआ था। इसी दिन आतंकियों ने पहलगाम में पर्यटकों को निशाना बना लिया, जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई।
खराब मौसम के कारण PM का दौरा हुआ रद्द
वहीं अधिकारियों का मानना है कि कटड़ा से श्रीनगर के लिए पहली ट्रेन को हरी झंडी दिखाने के लिए पीएम मोदी की यात्रा के दौरान इस तरह के नापाक मंसूबों को अंजाम देना चाहते थे। हालांकि पीएम मोदी का दौरा खराब मौसम के कारण स्थगित कर दी गई थी।
4 दिन तक श्रीनगर में रहे पुलिस महानिदेशक
गौरतलब है कि पुलिस महानिदेशक नलिन प्रभात चार दिनों तक श्रीनगर में ही रहे और श्रीनगर के आस-पास के सभी इलाकों पर नज़र रखी। अधिकारियों के मुताबिक प्रधानमंत्री की यात्रा रद्द होने के बाद आतंकवादी छिपकर बैठे थे और अगले मौके की तलाश में थे।
आतंकियों ने चलाई गोली
अधिकारियों के अनुसार पहलगाम में दो स्थानीय आतंकवादी पर्यटकों के साथ घुलमिल गए थे। इसके बाद जब आतंकियों ने पर्यटकों पर गोलीबारी शुरू हुई तो उन्हें एक फूड कोर्ट में ले जाया, जहां दो पाकिस्तानी आतंकवादियों ने गोलीबारी की।
सरकार के अनुरोध पर लगाई रोक
वहीं अधिकारियों ने कहा कि आतंकवाद रोधी अभियान के दौरान घरों को बम से उड़ाए जाने के चलन को जम्मू कश्मीर सरकार के अनुरोध पर रोक लगा दी है।
पहलगाम में 22 अप्रेल को बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हुई। इस हमले में आतंकवादियों ने पर्यटकों को निशाना बनाया। लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने हमले की जिम्मेदारी ली। आतंकियों ने पर्यटकों से उनका नाम और धर्म पूछा, कुछ को अपमानित किया और फिर गोली मार दी। यह 2019 के पुलवामा हमले के बाद कश्मीर में सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है।