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जिस जनधारणा से कुर्सी तक पहुंचे थे केजरीवाल उसे ही गंवा बैठे, जो जेल गए वे भी हारे

Delhi Assembly Election Result: आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल के हर नहले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने दहला चलने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। पढ़िए नवनीत मिश्र की खास रिपोर्ट…

भारतFeb 09, 2025 / 09:19 am

Shaitan Prajapat

Delhi Assembly Election Result: महाराष्ट्र और हरियाणा के बाद भाजपा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी प्रचंड बहुमत से विजय का सिलसिला जारी रखा। दिल्ली की जीत इसलिए भी ऐतिहासिक है, क्योंकि 27 साल से सत्ता का सूखा खत्म करने में पार्टी सफल रही। आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल के हर नहले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने दहला चलने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। मसलन, केजरीवाल ने कहा- हम हारे तो मुफ्त-बिजली-पानी मिलना बंद हो जाएगा तो भाजपा बोली- सभी फ्री की योजनाएं चलती रहेंगी। केजरीवाल ने कहा- हम महिलाओं को 21 सौ देंगे, तो भाजपा ने कहा- हम 2500 देंगे।

भाजपा की जीत में एम फैक्टर-महिला, मध्यम वर्ग और मोदी गारंटी का अहम रोल

भाजपा ने जरूरतमंद जनता के मन से यह डर हटा दिया कि उसके सत्ता में आने से सब्सिडी वाली योजनाएं बंद होगी, बल्कि यह भी संदेश दिया कि वह कुछ और भी बढ़चढ़कर देगी, साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर भी बेहतर करेगी। दिल्ली के अंदर और बाहर एक लाख करोड़ रुपए से अधिक के प्रोजेक्ट भाजपा ने खूब गिनाए। दूसरी ओर, दस साल की एंटी इन्कमबेंसी से जूझ रही आम आदमी पार्टी के पास पुराने वादों के अलावा कुछ नया नहीं था। चूंकि महिलाओं को पैसे सहित कुछ वादे पिछले चुनाव के अधूरे थे, तो इस बार फॉर्म भराने के बावजूद जनता ने ऐतबार नहीं किया। भाजपा की जीत में एम फैक्टर-महिला, मध्यम वर्ग और मोदी गारंटी का अहम रोल रहा।

ऐन वक्त पर हुए फैसलों ने पलट दिया चुनाव

पहले केंद्रीय कर्मचारियों के लिए आठवें वेतन आयोग के ऐलान और फिर मतदान से ठीक पहले एक फरवरी को बजट में 12 लाख तक की सालाना कमाई वालों की आयकर माफी की घोषणा ने दिल्ली के उस मध्यमवर्ग को गदगद कर दिया जो लोकसभा में तो भाजपा को वोट करता था, लेकिन सब्सिडी वाली योजनाओं के चक्कर में विधानसभा चुनाव में आप को चला जाता था। भाजपा को इसबार पिछली बार से करीब सात फीसदी ज्यादा वोट मिले हैं। यह मीडिल क्लास के समर्थन का साफ संकेत है।

जो जेल गए वे हारे-

नई दिल्ली

अरविंद केजरीवाल, आप 25999 ( -4089)
प्रवेश वर्मा, भाजपा 30088 ( 4089)
संदीप दीक्षित, कांग्रेस 4568 ( -25520)

जंगपुरा

मनीष सिसोदिया, आप 38184 ( -675)
तरविंदर सिंह मारवाह, भाजपा 38859 ( 675)
फरहाद सूरी, कांग्रेस 7350 ( -31509)
शकूरबस्ती

सतेंद्र जैन, आप 35871 ( -20998)
करनैल सिंह, भाजपा 56869 ( 20998)
सतीश कुमार लूथरा, कांग्रेस 5784 ( -51085)

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डबल एंटी इन्कमबेंसी से पार नहीं पाए केजरीवाल

इस बार आप को डबल एंटी इन्कमबेंसी झेलनी पड़ी। दस साल से राज्य की सत्ता के खिलाफ नाराजगी तो थी ही, निगम चुनावों में जीत के बाद एक और एंटी इन्कमबेंसी पैदा हो गई। कूड़ा, सफाई, सीवर और कॉलोनियों की समस्याओं का सीधा वास्ता एमसीडी से होता है। इससे पहले भाजपा को यही कीमत चुकानी पड़ती थी। भाजपा जब एमसीडी की सत्ता में होती थी, तब विधानसभा में प्रदर्शन में सुधार के बावजूद कभी कांग्रेस तो कभी आप की सरकार बन जाती थी। गरीबों और मध्यवर्ग के मसीहा के तौर पर अपनी करिश्माई छवि से पिछले दो चुनावों में 60 से ज्यादा सीटें जीतने वाले केजरीवाल जब शराब घोटाले में जेल गए और फिर ‘शीशमहल कांड’ में घिरे तो उनकी उस वर्ग में छवि खराब हुई जो उनसे बड़ी क्रांति की उम्मीदें लगाए हुए थे। केजरीवाल जिस जनधारणा (पब्लिक परसेप्शन) के दम पर तीन बार मुख्यमंत्री बने वही पूंजी गंवा बैठे।
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कांग्रेस ने कहा, छल-कपट की राजनीति खारिज

दिल्ली चुनाव हारने के बाद कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ‘चुनाव नतीजे प्रधानमंत्री की नीतियों पर मुहर नहीं है बल्कि यह जनादेश केजरीवाल की छल, कपट और उपलब्धियों के अतिशयोक्तिपूर्ण दावों की राजनीति को खारिज करता है। मतदाताओं ने आप के बारह वर्षों के कुशासन पर अपना फैसला सुनाया।’

अन्ना हजारे बोले, केजरीवाल घोटालों में उलझ गए

केजरीवाल को सत्ता तक पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने प्रतिक्रिया दी, ‘चुनाव में उम्मीदवारों में मजबूत चरित्र, अच्छे विचार और स्वच्छ छवि होनी चाहिए। लेकिन आप में इसकी कमी है। वे शराब और धन घोटालों में उलझ गए।’

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