HIV Self Testing: देश के इस राज्य में सबसे ज्यादा एचआईवी के मरीज, कैसे सेल्फ टेस्टिंग बना गेम चेंजर?
HIV Self Testing: भारत सरकार ने 1992 में एड्स विरोधी अभियान के रूप में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (प्रथम चरण) की शुरुआत की जिसका उद्देश्य देश में एचआईवी संक्रमण के प्रसार एवं AIDS के प्रभाव को कम करना था ताकि एड्स से मरने वाले लोगों की संख्या में कमी लाई जा सके एवं इसे वृहत स्तर पर फैलने से रोका जा सके।
HIV Self Testing become Gamechanger in Mizoram: पुणे के भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसलेशनल वायरोलॉजी एंड एड्स रिसर्च (पूर्व में NARI) और मिजोरम विश्वविद्यालय की ओर से किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि कैसे एचआईवी स्व-परीक्षण ने मिजोरम में कई युवाओं को पहली बार परीक्षण करवाने में मदद की है। बता दें कि देश में सबसे अधिक HIV मरीज इस राज्य में हैं।
ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस या HIV शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला करता है। अगर इसका इलाज न किया जाए, तो एचआईवी AIDS का कारण बन सकता है। AIDS एक दुर्लभ और जानलेवा बीमारी है। हालांकि, आधुनिक एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) के नियम HIV से पीड़ित लोगों को लंबा और स्वस्थ जीवन जीने में मदद कर सकते हैं। HIV वायरस अक्सर यौन संपर्क या दूषित सुइयों (रक्त आधान, दवाओं के इंजेक्शन के लिए) के माध्यम से फैलता है।
भारत विश्व में तीसरे स्थान पर
भारत एचआईवी/एड्स उन्मूलन की दिशा में लगातार कठिन प्रयास कर रहा है। AIDS नामक इस भयानक बीमारी ने देश की एक बड़ी आबादी को अपने प्रभाव में जकड़ रखा है। HIV से संबंधित मामलों को पूर्ण रूप से ख़त्म किये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं एवं पिछले कुछ वर्षों में भारत ने इस प्रयास में अंशतः सफलता भी पाई है। भारत को पूर्णतः एड्स मुक्त होने में अभी काफी समय लगेगा क्योंकि अभी भी देश में 15 से 49 वर्ष की उम्र के बीच के लगभग 25 लाख लोग AIDS से प्रभावित हैं। यह आंकड़ा विश्व में AIDS प्रभावित लोगों की सूची में तीसरे स्थान पर आता है। बता दें कि यह डेटा भारत के राष्ट्रीय पोर्टल से लिया गया है।
एचआईवी/एड्स से संबंधित महत्वपूर्ण बातें:
HIV (ह्यूमन इम्यूनो डेफिशियेंसी वायरस) शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की कोशिकाओं को संक्रमित कर देता है।HIV कई तरीकों से फैल सकता है।पूरे विश्व में लगभग 3.53 करोड़ लोग HIV से प्रभावित हैं।
HIV दुनिया की प्रमुख संक्रामक एवं जानलेवा बीमारी है।एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (ART) शरीर में एचआईवी वायरस को फैलने से रोकता है।वर्ष 2012 के अंत तक निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों के लगभग 1 करोड़ एचआईवी पॉजिटिव लोगों को एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (ART) उपलब्ध करवाई जा चुकी है।
विश्व के लगभग 33.4 लाख बच्चे HIV से प्रभावित हैं।मां से बच्चे में HIV के संक्रमण को रोका जा सकता है।एचआईवी प्रभावित लोगों में सामान्य लोगों की अपेक्षा क्षय रोग (TB) होने का खतरा अधिक होता है।
मिजोरम झेल रहा HIV का बोझ
इंडियन एक्प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सभी राज्यों में मिजोरम में वयस्क आबादी में HIV संक्रमित सबसे अधिक है। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के प्रमुख प्रकाशन संकल्प (2024) के अनुसार, राज्य में सभी वयस्कों में से 2.73% HIV से संक्रमित हैं। बता दें कि यह राष्ट्रीय औसत से 13 गुना अधिक है। नागालैंड (1.37%), मणिपुर (0.87%), आंध्र प्रदेश (0.62%), और तेलंगाना (0.44%) वयस्क आबादी में सबसे अधिक HIV बोझ वाले पांच राज्यों की सूची को पूरा करते हैं। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन के ‘एचआईवी सेंटिनल सर्विलांस तकनीकी संक्षिप्त विवरण 2016-17’ के अनुसार, मिजोरम में नशीली दवाओं का सेवन करने वाले 19.8% व्यक्ति HIV से संक्रमित थे। इसके अलावा 24.7% महिला यौनकर्मी भी HIV से संक्रमित थीं जो देश में सबसे अधिक है।
HIV सेल्फ टेस्टिंग ऐसे होती है
एचआईवी स्व-परीक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति अपने रक्त और लार के नमूने एकत्र करता है, और खुद ही एक परीक्षण किट का उपयोग करके परिणामों की व्याख्या करता है। 2016 में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इसके लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाने के बाद से लगभग 41 देशों ने इस तरह के स्व-परीक्षण को अपनाया है। भारत ने अभी तक दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं।
यही कारण है कि, केवल स्व-परीक्षण किट उपलब्ध कराने से परे, अध्ययन ने यह भी देखा कि स्व-परीक्षण कार्यक्रम का कार्यान्वयन कैसे किया जा सकता है। एचआईवी कार्यक्रम के अधिकारियों, धार्मिक नेताओं, सामुदायिक प्रभावकों, युवाओं और प्रमुख जनसंख्या समूहों के साथ गुणात्मक गहन साक्षात्कार किए गए। यहां एकत्रित जानकारी ने रणनीतिक संचार, सामुदायिक जुड़ाव और एचआईवी स्व-परीक्षण किट की डिलीवरी को निर्देशित किया। विशेष रूप से, समुदाय-आधारित संगठनों, चर्च-आधारित युवा संघों, कॉलेज उत्सवों, सड़क के कोनों पर आउटरीच साइटों, फ़ार्मेसियों और सामुदायिक कार्यक्रमों के साथ संबंध स्थापित किए गए।
HIV सेल्फ टेस्टिंग क्यों जरूरी
मिजोरम में 2017/2018 में वार्षिक नए एचआईवी संक्रमणों में वृद्धि देखी गई, जिसके बाद पुणे के ICMR-NITVAR ने समुदाय की आवाज़ को आकर्षित करने के उद्देश्य से जांच और त्वरित स्थिति और प्रतिक्रिया आकलन की एक श्रृंखला की योजना बनाई। अध्ययन की प्रमुख लेखिका डॉ. अमृता राव, वैज्ञानिक डी, डिवीजन ऑफ क्लिनिकल साइंसेज, आईसीएमआर-एनआईटीवीएआर, पुणे ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “इसका उद्देश्य एचआईवी सेल्फ-टेस्ट की क्षमता की जांच करना भी था, ताकि ऐसे व्यक्तियों तक पहुंचा जा सके, जो अन्यथा परीक्षण या एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी तक नहीं पहुंच पाते।” अध्ययन के सह-लेखक और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. समीरन पांडा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “यह दृष्टिकोण कमजोर युवाओं को अपनी स्थिति जानने के लिए एक निजी, सुविधाजनक और कलंक-मुक्त तरीका प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाता है।”
पहली बार टेस्ट कराने वालों की बड़ी संख्या
5 फरवरी को फ्रंटियर्स ऑफ पब्लिक हेल्थ नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि आइजोल में छह महीनों के दौरान एचआईवी सेल्फ टेस्टिंग की रणनीति लागू होने के बाद करीब 2,101 युवा HIV परीक्षण कराने के लिए आगे आए। इनमें से 1,772 (या 84%) पहली बार परीक्षण कराने वाले थे। सेल्फ टेस्टिंग में पॉजिटिव पाए गए 18-24 वर्ष आयु वर्ग के युवाओं का एक बड़ा अनुपात (85%) पुष्टिकरण परीक्षण कराने गया, और उन्हें एआरटी से जोड़ा गया।
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