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कभी भी छिड़ सकता है तीसरा विश्व युद्ध, मोदी सरकार के कद्दावर मंत्री ने क्यों कहा ऐसा?

नितिन गडकरी ने कहा कि दुनिया में हालात ऐसे बन गए हैं कि कभी भी तीसरा विश्वयुद्ध छिड़ सकता है। उन्होंने भारत को लेकर भी चिंता जताई। कहा कि भारत में अमीरी और गरीबी की खाई बढ़ती जा रही है।

मुंबईJul 07, 2025 / 11:30 am

Pushpankar Piyush

Nitin Gadkari (ANI)

मोदी सरकार (Modi Government) में कद्दावर कैबिनेट मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने कहा कि दुनिया के अंदर तालमेल, प्रेम और शांति कम हो रही है। हालात ऐसे बन गए हैं कि कभी भी तीसरा विश्वयुद्ध (Third World War) शुरू हो सकता है।
उन्होंने एक किताब विमोचन के दौरान कहा कि भारत (India), भगावन बुद्ध (Buddha) की भूमि है। भारत दुनिया को सत्य, अहिंसा और शांति का संदेश देता है। इसलिए हमें दुनिया में हो रही घटनाओं को देखकर भविष्य की नितियों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।

टैंक की अहमियत घटी

उन्होंने कहा कि दुनिया में युद्धों के कारण ऐसे हालात बन गए हैं। आज के युद्ध तकनीकी तौर पर बहुत आगे बढ़ गए हैं। इससे मानवता की रक्षा करना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कहा कि टैंक-लड़ाकू विमान जैसे हथियारों की अहमियत बहुत कम हो गई है। अब मिसाइलें व ड्रोन जैसे हथियारों का इस्तेमाल ज्यादा होता है।
गडकरी ने कहा कि दुख की बात है कि अब मिसाइलें लोगों की बस्तियों पर भी गिराई जा रही हैं, ऐसे में हालात मुश्किल होते जा रहे हैं। हम धीरे-धीरे महाविनाश की तरफ बढ़ रहे हैं। महाशक्तियों की तानाशाही और हुक्मरानी की वजह से दुनिया में बातचीत, प्रेम और सौहार्द खत्म होता जा रहा है। आज समय रहते कदम उठाने की जरूरत है।

भूखे पेट को दर्शन नहीं सिखाया जा सकता

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि हमारे देश में समृद्धि का विकेंद्रीकरण करना बहुत जरूरी हो गया है। हमारे यहां गरीबों की संख्या बढ़ती जा रही है और दौलत चंद अमीरों के हाथ में सिमटती जा रही है। उन्होंने खेती, इंडस्ट्रीज, टैक्स सिस्टम और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) जैसे विषयों पर भी बात की। अपने भाषण में गडकरी ने कहा कि जिसका पेट खाली है, उसे दर्शन नहीं सिखाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को इस तरह से विकसित होना चाहिए कि रोजगार पैदा हो और ग्रामीण क्षेत्रों का उत्थान हो।

भारत की आर्थिक संचरना का किया उल्लेख

केंद्रीय मंत्री ने पूर्व पीएम नरसिम्हा राव और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को आर्थिक सुधारों का श्रेय दिया। उन्होंने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र 22-24 प्रतिशत, सेवा क्षेत्र 52-54 प्रतिशत योगदान देता है, जबकि कृषि, ग्रामीण आबादी के 65-70 प्रतिशत हिस्से को शामिल करने के बावजूद, केवल 12 प्रतिशत योगदान देती है।

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