4 दिसंबर 2024 को गिरफ्तार हुए थे नरेश बालियान
दिल्ली पुलिस ने 4 दिसंबर को संगठित अपराध से जुड़े एक मामले में मकोका के तहत
आम आदमी पार्टी के उत्तम नगर से पूर्व विधायक नरेश बालियान को गिरफ्तार किया था। उसी दिन उन्हें जबरन वसूली के एक अन्य मामले में अदालत से जमानत मिल गई थी। वार्ता न्यूज एजेंसी के अनुसार, उत्तम नगर से पूर्व विधायक नरेश बालियान को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक साल पुराने जबरन वसूली के मामले में पहले हिरासत में लिया। बाद में गिरफ्तार कर लिया। पुलिस गैंगस्टर कपिल सांगवान उर्फ नंदू और बालियान से जुड़े कथित वायरल ऑडियो की भी जांच कर रही है। जिसके चलते बालियान को जेल से रिहाई नहीं मिल पाई। बालियान की 90 दिन की हिरासत अवधि 3 मार्च को समाप्त हो रही थी।
कोर्ट में जमानत का दिल्ली पुलिस ने किया था विरोध
गिरफ्तारी के बाद जब नरेश बालियान ने अदालत से जमानत मांगी तो दिल्ली पुलिस ने इसका विरोध किया था। पुलिस के अधिवक्ता ने कोर्ट में दलील दी थी कि नरेश बालियान की गैंगस्टर कपिल सांगवान (Kapil Sangwan) उर्फ नंदू के साथ करीबी साठगांठ है। पुलिस ने कोर्ट को बताया था कि मामले के सह-आरोपी रितिक उर्फ पीटर और सचिन चिकारा ने स्वीकार किया है कि नरेश बालियान सांगवान के संगठित अपराध सिंडिकेट में न केवल मददगार था। बल्कि एक साजिशकर्ता के रूप में भी भूमिका निभा रहा था। पुलिस का दावा है कि बाल्यान ने अपराध के बाद अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए सिंडिकेट के एक सदस्य को आर्थिक मदद भी मुहैया कराई थी। पूर्व विधायक नरेश बालियान के अधिवक्ता ने क्या कहा था?
इस पूरे मसले पर नरेश बालियान की तरफ से पेश अधिवक्ता एमएस खान ने तर्क देते हुए कहा था कि प्राथमिकी में कोई नया अपराध नहीं है। संगठित अपराध आईपीसी के तहत अन्य अपराधों से अलग है। वकील ने तर्क दिया कि मकोका के तहत प्राथमिकी संगठित अपराध के खिलाफ नहीं है, यह कपिल सांगवान के नेतृत्व वाले संगठित अपराध सिंडिकेट के खिलाफ है। मकोका के तहत बालियान की गिरफ्तारी पर ‘आप’ नेता मनीष सिसोदिया ने नाराजगी जताई थी। मनीष सिसोदिया ने कहा था “पीएमएलए-मकोका जैसे कानून इनके लिए महज औजार हैं। जब भी किसी नेता को झूठे मामले में फंसाना होता है, ये कोई न कोई धारा लगा देते हैं। शुक्र है कि ये अमेरिका का कोई कठोर कानून नहीं लगा सकते, वरना वो भी लगा देते।”